नई दिल्ली : भारत के लिए रक्षा क्षेत्र में एक और अनुकरणीय उपलब्धि की दिशा में आगे बढ़ते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के बालासोर तट से सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल वायु रक्षा प्रणाली आकाश-एनजी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। डीआरडीओ ने एक बयान में कहा, 'पिछले दो दिनों में 30 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली का यह दूसरा परीक्षण है।'
उड़ान परीक्षण सभी हथियार प्रणाली, जैसे- मल्टीफंक्शन रडार, कमांड, कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम के साथ भूमि-आधारित प्लेटफॉर्म से किया गया था। मिसाइल रक्षा प्रणाली को हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) द्वारा अन्य DRDO प्रयोगशालाओं के सहयोग से विकसित किया गया।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, उड़ान डेटा को कैप्चर करने के लिए एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) ने इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम, रडार और टेलीमेट्री जैसे कई रेंज स्टेशनों की तनौती की थी। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने तेज और फुर्तीले हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए आवश्यक उच्च गतिशीलता का प्रदर्शन किया।
आकाश-एनजी हथियार प्रणाली भारतीय वायु सेना की वायु रक्षा क्षमता के लिए एक सक्षम जमीनी सपोर्ट साबित होगी। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) जैसी रक्षा उत्पादन कंपनियों ने भी परीक्षणों में भाग लिया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, बीडीएल, बीईएल, भारतीय वायु सेना और भारतीय रक्षा उद्योग को बधाई दी है।
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