नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के हाथरस में बीते साल सितंबर में दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी नृशंसा हत्या का मामला सामने आया था। इस मामले का खुलासा तब हुआ था, जब 29 सितंबर, 2020 को पीड़िता की उपचार के दौरान दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद वहां व्यापक प्रदर्शन हुए थे, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच कर रहा है।
ईडी ने इस मामले में अब पहला आरोप-पत्र दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कई सदस्य पिछले साल हाथरस में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद 'सांप्रदायिक दंगे भड़काना एवं आतंक' फैलाना चाहते थे। इसके मुताबिक पीएफआई ने उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक सदभाव का माहौल बिगाड़ने के लिए खाड़ी देशों से 1.36 करोड़ रुपये जुटाए थे।
लखनऊ की पीएमएलए अदालत में धनशोधन रोकथाम कानून की विभिन्न धाराओं के तहत दाखिल आरोप-पत्र में जिन लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किए गए हैं, उनमें ए रउफ शरीफ, अतीकुर रहमान, मसूद अहमद, सिद्दिकी कप्पन और मोहम्मद आलम के नाम शामिल हैं। विशेष अदालत ने गुरुवार को मामले में उक्त सभी पांच आरोपियों को समन जारी कर 18 मार्च को उसके समक्ष पेश होने के लिए कहा है।
ईडी 2018 से ही पीएफआई के खिलाफ धनशोधन मामलों की जांच कर रही है। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के लिए वित्त पोषण का आरोप भी पीएफआई पर है। पिछले साल फरवरी में दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में भड़के सांप्रदायिक दंगों में भी पीएफआई की भूमिका संदेह के घेरे में है। हाथरस केस में ईडी ने यूपी पुलिस की प्राथमिकी के आधार पर पीएफआई सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
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