उत्तर प्रदेश में हाथरस कांड की गूंज है, इस मामले में प्रदेश सरकार ने गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी और एसआईटी को जांच के लिए सात दिन दिए गए थे वहीं ताजा जानकारी सामने आई है कि SIT को जांच के लिए 10 दिन और दिए गए हैं । गौरतलब है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में हाथरस के एसपी, सीओ समेत पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया था।
बताया जा रहा है कि एसआईटी इस मामले की संवेदनशीलत को देखते हुए छानबीन पूरी करने में जुटी है और इसको लेकर संबधित तमाम लोगों से पूछताछ की गई और साक्ष्य भी जुटाए गए, एसआईटी के साथ फॉरेंसिक एक्सपर्ट भी मौजूद हैं, मंगलवार को एसआईटी ने उस जगह का फिर से मुआयना किया, जहां पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किया गया था।
हाथरस मामले की जांच के लिए शासन ने 29 सितंबर को प्रदेश सरकार ने गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी, एसआईटी में डीआईजी चंद्र प्रकाश द्वितीय और एसपी पूनम बतौर सदस्य शामिल हैं
वहीं हाथरस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। TIMES NOW को पता चला है कि आरोपी और पीड़ित परिवार के बीच फोन पर खूब बातें होती थीं। टाइम्स नाउ के पास दोनों परिवारों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) हैं। अक्टूबर 2019 और मार्च 2020 के बीच दोनों परिवारों के लोगों के बीच 100 से ज्यादा फोन कॉल हुई हैं।
ये बातचीत लंबी-लंबी हैं। पुलिस सूत्रों से जानकारी मिली है कि मार्च 2020 के बाद और वारदात के समय तक पीड़िता का भाई और मुख्य आरोपी संपर्क में थे और वो एक-दूसरे से बात कर रहे थे,फोन के अलावा भी दोनों के बीच बातचीत हो रही थी।कहा जा रहा है कि नंबर पीड़िता के भाई के नाम पर है। पीड़िता के भाई ने हालांकि यह स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि वह मुख्य आरोपी संदीप से फोन पर बात करता था। अब सवाल ये है कि अगर पीड़िता का भाई आरोपी संदीप से बात नहीं करता था तो कौन करता था। ये भी माना जा रहा है कि हो सकता है कि पीड़िता और आरोपी के बीच में फोन पर बातें होती हों। ये बातचीत लंबी-लंबी होती थी, जिससे समझा जा सकता है कि ये सिर्फ काम के लिए नहीं थी।
आरोपी और पीड़ित परिवार के बीच फोन कॉल्स की बात सामने आने के बाद बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा है कि पीड़िता के भाई से पूछताछ होनी चाहिए। साथ ही उनका कहना है कि पता नहीं कौन इस नंबर का यूज कर रहा था।
हाथरस केस में उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। अपने हलफनामे में योगी सरकार ने कहा कि वह शीर्ष अदालत की निगरानी में इस मामले की सीबीआई जांच चाहती है। राज्य सरकार ने कहा कि कुछ 'निहित स्वार्थ' इस मामले में जांच को पटरी से उतारने के लिए प्रयास कर रहे हैं। अपने हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा है कि 19 साल की दलित लड़की पर हमले एवं कथित गैंगरेप की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश देना चाहिए। बता दें कि गत 14 सिंतबर को हाथरस में लड़की के साथ कथित रूप से गैंगरेप की घटना सामने आई।
हाथरस मामले में पुलिस ने दिल्ली से हाथरस जा रहे चार व्यक्ति मथुरा से पकड़े थे, बताया जा रहा है कि उनका पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के साथ लिंक मिला है। वहीं दलित युवती के कथित सामूहिक बलात्कार और उसकी मौत की घटना को लेकर हो रहे प्रदर्शनों के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने जातिगत संघर्ष भड़काने के प्रयास करने से लेकर देशद्रोह तक के आरोपों में राज्य भर में 19 प्राथमिकियां दर्ज की थीं। हाथरस जिले के चंदपा थाने में ‘अज्ञात लोगों’ के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि उन्होंने जातिगत संघर्ष भड़काने, समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की है, साथ ही इन सभी के खिलाफ राजद्रोह (124ए) का मामला भी दर्ज किया गया था।
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