Energy Crisis In India: क्या देश में अगले कुछ दिनों में अंधेरा कायम हो जाएगा। क्या देश के पास पावर प्लांट के पास कोयला एकदम समाप्त हो जाएगा। क्या उपभोक्ताओं को बिजली कटौती का सामना करना पड़ेगा। क्या उपभोक्ताओं को बिजली इस्तेमाल करने के लिए ज्यादा बिल चुकाना पड़ेगा। दरअसल यह सब ऐसे सवाल है जो सुर्खियों में हैं। अब सवाल यह है कि आखिर क्यों इस तरह की बात की जा रही है। ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक इस समय देश में कोयले से चलने वाले पावर प्लांट के पास कोयले का स्टॉक कम दिनों के लिए बचा है। ऐसी सूरत में अगर तात्कालिक उपाय नहीं निकाले गए तो ऊर्जा संकट का सामना करना तय है।
यह है तस्वीर
देश में बिजली उत्पादन में कोयले से चलने वाले प्लांट की हिस्सेदारी 70 फीसद
देश में कुल 135 थर्मल प्लांट में से 72 के पास सिर्फ 3 दिन के लिए कोयले का स्टॉक
50 पावर प्लांट के पास चार से 10 दिन का स्टॉक
और शेष प्लांट के पास 10 दिन से अधिक कोयला का स्टॉक
परेशानी की वजह
कोयले के उत्पादन में कमी और आयात में आ रही परेशानी
मानसून की वजह से कोयले के उत्पादन में कमी
कोयले के खदानों में पानी भरा है लिहाजा उत्पादन में गिरावट दर्ज
कोरोना काल भी संकट के लिए जिम्मेदार !
कोरोना काल को भी संकट के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक साल 2019 में अगस्त सितंबर के महीने में बिजली की खपत 10 हजार 660 करोड़ यूनिट थी, जबकि 2021 में यह बढ़कर 12 हजार 420 करोड़ यूनिट हो चुकी है। 2021 में अगस्त सितंबर महीने में कोयले की खपत 2019 के मुकाबले करीब 18 फीसद का इजाफा हुआ है। भारत में इस समय कोयले का करीब 300 अरब टन रिजर्व है। इन सबके बीच ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और अमेरिका से कोयले का आयात करना पड़ता है।
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