नई दिल्ली: देश में कोयले की किल्लत को दूर करने के लिए, केंद्र सरकार ने अहम फैसला लिया है। अब कैप्टिव खदानों से एक वित्तीय वर्ष में अतिरिक्त भुगतान पर 50 फीसदी तक कोयला और लिग्नाइट की बिक्री की जा सकेगी। हालांकि यह बिक्री तभी होगी जब उस खदान से जुड़े संयंत्र की कोयले और लिग्नाइट की मांग पूरी हो जाएगी। इस फैसले से 500 मिलियन टन से अधिक प्रति वर्ष पीक रेटेड क्षमता वाले 100 से अधिक कैप्टिव कोयला और लिग्नाइट ब्लॉकों को फायदा मिलेगा। नए नियम निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कैप्टिव खानों दोनों के लिए लागू होंगे।
क्यों किया बदलाव
विद्युत मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में 2021 में बिजली की मांग 124 बिलियन यूनिट रही है। जो कि अगस्त 2019 (कोविड से पहले के समय) की तुलना में 18-20 फीसदी ज्यादा है। इसी का परिणाम है कि 4 अक्टूबर को 1,74,000 मेगावॉट बिजली की मांग रही है। जो कि पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 15 हजार मेगावाट ज्यादा है। 3 अक्टूबर की स्थिति के अनुसार कोयला संयंत्रों के पास केवल औसतन 4 दिन का कोयला स्टॉक है।
खनिज रियायत अधिनियम, 1960 में संशोधन
कोयला मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने नए नियमों को अधिसूचित कर दिया है। नए प्रावधानों के लिए खनिज रियायत अधिनियम, 1960 में संशोधन किया गया है। इसके तहत एक वित्तीय वर्ष में कैप्टिव खदानों द्वारा 50 फीसदी तक कोयला और लिग्नाइट की बिक्री, अतिरिक्त भुगतान पर की जा सकेगी। हालांकि यह बिक्री तभी होगी जब उस खदान से जुड़े संयंत्र की की कोयले और लिग्नाइट की मांग पूरी हो जाएगी। इस वर्ष की शुरुआत में, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम में इस प्रस्ताव का संशोधन किया गया था।
20 वर्ष का अतिरिक्त पट्टा भी मिलेगा
सरकार ने नए संशोधन में किसी सरकारी कंपनी या निगम को कोयला या लिग्नाइट के लिए, खनन पट्टा 50 साल की अवधि के लिए देने का भी प्रावधान किया है। साथ ही पट्टे के 50 वर्ष की अवधि को 20 वर्ष की अवधि के लिए बढ़ाया भी जा सकेगा। ऐसा करने से खनन, पट्टे की अवधि बढ़ाने के लिए बार-बार दिए जाने वाले आवेदनों की संख्या में कमी आएगी और कोयले और लिग्नाइट की उपलब्धता भी अबाध रुप से बनी रहेगी।
बढ़ेगी कमाई
अतिरिक्त कोयले की उपलब्धता से बिजली संयंत्रों पर दबाव कम होगा और कोयले के आयात में कमी लाने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा, बेचे गए कोयले या लिग्नाइट से अतिरिक्त प्रीमियम राशि, रॉयल्टी और दूसरे भुगतान से राज्य सरकारों के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। सरकार के इस फैसले से 500 मिलियन टन प्रति वर्ष से अधिक पीक रेटेड क्षमता वाले 100 से अधिक कैप्टिव कोयला और लिग्नाइट ब्लॉकों को सीधा फायदा पहुंचेगा।
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