महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान जेल में बंद किए गए राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पेंशन योजना को बहाल कर दिया है।
शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में फडणवीस उप-मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने गुरुवार (14 जुलाई, 2022) को कहा कि आपातकाल का विरोध करने वाले कार्यकर्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), जन संघ और कुछ अन्य राजनीतिक दलों से थे।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, “लोकतंत्र बहाल करने के लिए प्रदर्शन करने पर कई लोगों को जेल भेज दिया गया था। मेरे पिता दो साल तक जेल में रहे थे।” फडणवीस ने कहा कि एमवीए सरकार ने कांग्रेस के दबाव में पेंशन योजना को बंद कर दिया होगा।
दरअसल, इस योजना को पिछली सरकार (महाविकास अघाड़ी सरकार: शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन) ने बंद कर दिया था। यह योजना साल 2018 में फडणवीस सरकार ने शुरू की थी, लेकिन उद्धव ठाकरे नीत एमवीए सरकार ने साल 2020 में इसे रद्द कर दिया था।
याद दिला दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जून 1975 में आपातकाल लगा दिया था। इसका विरोध करने पर कई कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया गया था। 2014-2019 तक सत्ता में रही फडणवीस सरकार ने इन कार्यकर्ताओं को पेंशन मुहैया कराने का फैसला किया था।
ऐसे कार्यकर्ताओं को 1975 से 1977 के बीच जेल में रहने की अवधि के हिसाब से पांच हजार रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक पेंशन दी जाती थी। अगर कोई शख्स एक महीने तक जेल में रहा था तो उसे पांच हजार रुपये की पेंशन दी जाती थी जबकि तीन महीने या इससे अधिक समय तक जेल में रहने वाले व्यक्ति को 10 हजार रुपये मिलते थे।
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