नई दिल्ली : देश में कोरोना संकट गंभीर हो गया है। पिछले कुछ दिनों से लगातार प्रतिदिन डेढ़ लाख से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले दिनों में यह आंकड़ा प्रतिदिन ढाई लाख से ज्यादा हो सकता है। इस महामारी से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित करीब-करीब सभी राज्यों में कोविड-19 के संक्रमण में तेजी आई है। सबसे बुरा हाल महाराष्ट्र का है जहां बुधवार रात आठ बजे से नए प्रतिबंध लागू हो जाएंगे। नाइट कर्फ्यू का सामना पहले से कर रहे इस राज्य में एक मई तक धारा 144 लागू रहेगी। साथ ही गैर-जरूरी सेवाओं पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है। देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश एक बार फिर इस महामारी की चपेट में आ चुका है। कोरोना संकट से निपटने के लिए योगी सरकार ने नए सिरे से अपनी तैयारी तेज कर दी है। देश में अभी तक कम से कम 11,11,79,578 लोगों को टीका लगाया जा चुका है। अभी बहुत बड़ी आबादी को टीका लगाया जाना है।
एक समय रोजाना 12 हजार के करीब आ गया था केस
एक समय देश कोरोना संक्रमण के आंकड़े प्रतिदिन 12 हजार के करीब आ गए थे। तब लगा था कि देश इस महामारी के गिरफ्त से बाहर आ गया है। इसके बाद 16 जनवरी से देश में टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद उम्मीद जताई गई कि इससे कोरोना संक्रमण पर काफी हद तक रोक लगाने में मदद मिलेगी लेकिन मार्च के महीने से संक्रमण के मामलों ने जिस तेजी से रफ्तार पकड़ी उसने सभी को हैरान कर दिया। इस बार संक्रमण की रफ्तार दोगुनी है। कोरोना के केस इतने क्यों बढ़ रहे हैं इसका कोई एक जवाब नहीं है। कोरोना के मामलों में बेतहाशा वृद्धि के पीछे स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी अलग-अलग कारण मानते हैं। इसके पीछे किसी एक वजह को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
1-'डबल म्यूटैंट' एक बड़ी वजह
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के नए केस में तेजी से वृद्धि होने का एक बड़ा कारण देश में 'डबल म्यूटैंट' का पाया जाना है। दरअसल, 'डबल म्यूटैंट' कोरोना के दो नए वैरिएंट्स होते हैं। कोरोना वायरस के दो प्रकार से जब व्यक्ति संक्रमित होता है तो उसे 'डबल म्यूटैंट' कहा जाता है। महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली सहित कई राज्यों में कोरोना का 'डबल म्यूटेंट' पाया गया है। कोरोना के ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के वैरिएंट भी देश में मिले हैं। कोरोना के 'डबल म्यूटेंट' से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला राज्य महाराष्ट्र है। इस 'डबल म्यूटेंट' का पहला केस दिसंबर में नागपुर में मिला था। तब से वैज्ञानिक इस नए प्रकार पर लगातार जिनोम सिक्वेंसिंग करते आ रहे हैं।
2-कोविड-19 व्यवहार के प्रति लापरवाही
साल 2020 में कोरोना देश में जब अपने पीक पर था तब लोग दो गज की दूरी, मास्क पहनने सहित कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते नजर आए लेकिन संक्रमण के मामलों में कमी आने और वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद वे लापरवाह हो गए। उन्होंने मास्क पहनना और हाथों को सैनिटाइज करना छोड़ दिया। कोविड उचित व्यवहार के प्रति लोगों में उदासीनता देखी गई। लोगों को यह समझना होगा कि कोरोना गया नहीं है, वह हमारे आसपास ही मौजूद है। लापरवाही करने पर व्यक्ति के उसकी गिरफ्त में आने का खतरा बना रहेगा।
3-टीकाकरण अभियान की गति धीमी
भारत में टीकाकरण अभियान में तेजी लाने की जरूरत है। सरकार की यह कोशिश होनी चाहिए कि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीकाकरण के दायरे में लाए। वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में उदासीनता देखने को मिल रही है। खासकर, ग्रामीण इलाकों में लोग टीका लगवाने को लेकर हिचकिचाहट है। लोगों को यह समझना होगा कि टीका उन्हें महामारी से सुरक्षा प्रदान करेगा। महामारी से लड़ने के लिए लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी होगी। यह टीकाकरण से ही संभव है।
4-दोबारा कोरोना की चपेट में आ रहे लोग
इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटेग्रेटिव बॉयलोजी (आईजीआईबी) के हाल के एक अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना से पहले संक्रमित हो चुके करीब 20 से 30 प्रतिशत लोग दोबारा इस महामारी के चपेट में आ रहे हैं। इसके पीछे वजह बताई गई है कि संक्रमण के छह महीने के बाद उनकी एंटीबॉडी कमजोर हो गई। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना से ठीक हो चुका व्यक्ति दोबारा इसकी गिरफ्त में आ रहा है। कोरोना के केस बढ़ने में यह भी एक वजह है।
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