कृषि सुधार विधेयक के खिलाफ किसान पिछले कुछ दिनों से देश भर में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। इन विधेयकों का सबसे ज्यादा विरोध पंजाब के किसान कर रहे हैं। बुधवार को खेती आर्डिनेंस के मसले पर केंद्रीय कमेटी के साथ किसान संगठनों की बैठक के विफल रहने पर संघर्षरत किसानों में केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया। अब केंद्र सरकार के खिलाफ आरपार की लड़ाई शुरू करने को किसान संगठनों के आह्वान पर देश भर में 5 नवंबर को सुबह 10 से शाम 4 बजे तक चक्का जाम का एलान किया गया है।
पंजाब में 30 किसान यूनियनों ने आगामी पांच नवंबर को देशव्यापी चक्का जाम आंदोलन की तैयारियां पूरी कर ली हैं। कृषि सुधार विधेयक का विरोध जताते हुए किसान देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं उनका कहना है कि सरकार के इस कदम से किसानों के साामने भारी दिक्कतें आने वाली हैं और सरकार इस सबसे बेफ्रिक नजर आ रही है।
केंद्र सरकार ने कृषि सुधारों के मद्देनजर तीन कानून बनाए और उसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन कांग्रेस को वो कानून रास नहीं आ रहा है, सोनिया गांधी ने तो बाकायदा कांग्रेस शासित राज्यों के सीएम से कहा कि वो कानून में फेरबदल करें। सोनिया गांधी के निर्देशों के पालन करने के क्रम में पंजाब विधानसभा में इन कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश कर दिया गया है और पंजाब इस तरह का प्रस्ताव पेश करने वाला पहला राज्य बना है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया.इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों की आलोचना की गई है।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के अलावा इलेक्ट्रिसिटी बिल में भी जो बदलाव किए गए हैं, वो भी किसान और मजदूरों के खिलाफ हैं। इससे सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि हरियाणा और वेस्ट यूपी पर भी असर पड़ेगा। प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद उन्होंने रेलवे ट्रैक पर बैठे किसानों से अपील की है कि अब धरना खत्म कर दें और काम पर लौटें। सरकार इन कानूनों के खिलाफ हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
किसानों का कहना है कि इस आर्डिनेंस के जरिए केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है और केवल किसानों को ही दोषी बनाया जा रहा है क्योंकि कमीशन राज्य सरकारों की कार्रवाई को निर्देशित करने के लिए अधिकृत होगा, लेकिन केंद्र सरकार को मजबूर नहीं कर सकेगा कि वह स्त्रोत मुहैया कराए। वहीं सितंबर महीने में इसी क्रम में ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन समिति के बैनर तले करीब 250 किसान संगठनों ने देश व्यापी 'भारत बंद' का आह्वान किया था। 'भारत बंद' के दौरान पंजाब, हरियाणा, दिल्ली-यूपी बॉर्डर के समीप किसानों ने प्रदर्शन किया था वहीं सरकार ने किसानों के प्रदर्शन पर कहा था कि सरकार आधी रात के समय भी किसानों से बात करने के लिए तैयार है।
गौरतलब है कि संसद से कृषि सुधारों से जुड़े तीन विधेयक पारित हुए हैं। सरकार का कहना है कि इन विधेयकों के कानून बन जाने के बाद किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और वे अपनी फसल कहीं पर भी बेच सकेंगे। सरकार का दावा है कि किसानों के लिए मंडियां और एमएसपी पहले की तरह जारी रहेगी। वहीं, किसानों की आशंका है कि इन विधेयकों के बाद एमएसपी और मंडियां खत्म हो जाएंगी। किसानों को विपक्ष का समर्थन मिला हुआ है।
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