किसान नेताओं की अपील- 27 दिसंबर को 'मन की बात' के दौरान बजाएं थाली, 23 को मनाएंगे किसान दिवस

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Updated Dec 20, 2020 | 19:52 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

आंदोलनकारी किसानों ने कहा है कि वे लोगों से अपील करेंगे कि जब 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मन की बात' करें, उस दौरान सभी अपने-अपने घरों में थाली बजाएं।

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मुख्य बातें
  • सोमवार को एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे किसान
  • 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे
  • किसान 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाएंगे

नई दिल्ली: भारतीय किसान यूनियन के जगजीत सिंह दलेवाला ने लोगों से अपील की है कि जब 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मन की बात' कार्यक्रम के दौरान देश के लोगों को संबोधित करेंगे, उसी समय लोग अपने घरों पर थाली बजाएं। उन्होंने कहा कि  किसान हरियाणा में राजमार्गों पर 25 दिसंबर से 27 दिसंबर तक टोल वसूली को रोकेंगे।

वहीं स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा ने कहा, 'केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ सभी विरोध प्रदर्शन स्थलों पर किसान सोमवार को एक दिवसीय क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे।'

इसके अलावा किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान 23 दिसंबर को किसान दिवस मनायेंगे, लोगों से एक दिन के लिए दोपहर का भोजन नहीं पकाने का अनुरोध है। जब तक बिल वापिस नहीं होगा, MSP पर कानून नहीं बनेगा तब तक किसान यहां से नहीं जाएंगे। 23 तारीख को किसान दिवस के मौके पर किसान आप से कह रहे हैं कि एक समय का भोजन ग्रहण न करें और किसान आंदोलन को याद करें। 

इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसानों के आंदोलन को समाप्त करवाने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों से सोमवार या मंगलवार को मुलाकात करेंगे। उल्लेखनीय है कि हजारों की संख्या में किसान, खासतौर पर पंजाब एवं हरियाणा से, दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले करीब चार हफ्ते से डेरा डाले हुए हैं।

एक-दो दिन में बातचीत के लिए रास्ता निकल सकता है: खट्टर

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात के बाद कहा कि केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संघों और सरकार के बीच वार्ता के अगले दौर के लिए रास्ता एक या दो दिन में निकल सकता है। खट्टर के हवाले से हरियाणा सरकार के एक बयान में कहा गया, 'एक या दो दिन में बातचीत के लिए रास्ता निकल सकता है। अगर किसान संघों के नेता ‘हां’ या ‘नहीं’ में उत्तर की मांग छोड़कर आगे आते हैं तो सरकार बातचीत के लिए तैयार है। वार्ता के जरिए समाधान निकालने का प्रयास है। सरकार ने जो किया है, उससे अधिक जाकर कृषि कानूनों में परिवर्तन के बारे में सोच सकती है।'
 


 

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