अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं किसान, सरकार के साथ आज एक और दौर की बातचीत, क्या निकलेगा रास्ता?

कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की आज सरकार के साथ बातचीत होनी है। इससे पहले किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि वो अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और पीछे हटने के मूड में नहीं हैं।

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किसानों के प्रदर्शन का आज 8वां दिन 
मुख्य बातें
  • कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद का विशेष सत्र आहूत करें: किसान
  • प्रदर्शनकारी किसानों के साथ आज सरकार की बातचीत
  • दिल्ली के बॉर्डर पर टिके हुए हैं प्रदर्शनकारी किसान

नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की आज एक बार फिर से सरकार से बातचीत होगी। इससे पहले 1 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच बातचीत हुई थी। आज होने वाली बातचीत से पहले किसानों ने बुधवार को कहा कि केंद्र  सरकार तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए। वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक में जो भी विषय आएगा उस पर चर्चा होगी, कौन सी चीज कहां हल की जा सकती है उसका कानूनी पक्ष देखा जाएगा, उसके बाद किसी निर्णय की दिशा तय होगी। 3 दिसंबर को किसान यूनियन के लोग आने वाले हैं, वो अपना पक्ष रखेंगे, सरकार अपना पक्ष रखेगी। देखते हैं कहां तक समाधान हो सकता है।

उन्होंने कहा कि मैं किसानों से अपील करता हूं कि कानून उनके हित में हैं और सुधार लंबे इंतजार के बाद किए गए हैं, लेकिन अगर उन्हें इस पर कोई आपत्ति है तो हम उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार हैं।'

बैठक से पहले किसानों ने रखे ये सुझाव

बैठक से पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्री को एक ड्राफ्ट भेजा है, जिसमें कुछ सुझाव और शर्तें सामने रखी हैं। किसानों ने बैठक में गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय को शामिल नहीं करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा सरकार से अलग-अलग समय पर विभिन्न संगठनों के साथ बैठक करने से परहेज करने को कहा है। कृषि मंत्री ने 1 दिसंबर को 35 किसान नेताओं से मिलने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाकात की थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि किसानों को विशेषज्ञ पैनल का प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं है। 

विरोध में जलाएंगे पुतले

लोक संघर्ष मोर्चा से प्रतिभा शिंदे ने कहा कि वे तीन दिसंबर को महाराष्ट्र के हर जिले में पुतले जलाएंगे। उन्होंने कहा, 'हम महाराष्ट्र में तीन दिसंबर को और गुजरात में पांच दिसंबर को सरकार और कॉर्पोरेट्स के पुतले जलाएंगे।' उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि गुरुवार को सरकार के पास इन कानूनों को निरस्त करने को लेकर निर्णय लेने का अंतिम मौका है, अन्यथा यह आंदोलन बहुत बड़ा हो जाएगा और सरकार गिर जाएगी। 

दिल्ली से हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ लगने वाली कई सीमाओं पर किसान पिछले 8 दिनों से धरने पर बैठे हैं। सिंघु बॉर्डर पर हजारों किसान डेरा डाले हुए हैं, जबकि कई अन्य समूहों ने टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और चिल्ला बॉर्डर पर आवागमन को रोक दिया है।

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