नए कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के हजारों किसानों का दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन जारी है और आंदोलन 25वें दिन में प्रवेश कर गया है किसान अपनी मांगों पर अडिग हैं, बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी किसान आज शहीदी दिवस मनाएंगे, बताया गया-'जो लोग इस आंदोलन में शहीद हुए हैं उनके लिए आज शहीदी दिवस मनाया जाएगा।' गौरतलब है कि किसान संगठनों ने अभी तक के आंदोलन के दौरान शहीद होने वाले किसानों को 'शहीदों' का दर्जा दे दिया है।
कई राज्यों के किसानों का सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन गर्माया हुआ है, हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के हजारों किसानों को डर है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली समाप्त हो जाएगी और उनपर बड़े कॉर्पोरेट का नियंत्रण हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेखित किया था कि वह गतिरोध के समाधान के लिए कृषि विशेषज्ञों और किसान यूनियनों का एक 'निष्पक्ष और स्वतंत्र' समिति गठित करने पर विचार कर रहा है वहीं आंदोलन के समर्थन में पंजाब की नर्सें भी सामने आईं हैं और उन्होंने किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।
धरना-प्रदर्शन पर बैठे हजारों किसान अपनी मांगो पर अड़े हैं और इससे कम पर राजी नहीं दिख रहे हैं वहीं इस किसान आंदोलन को समर्थन बढ़ता ही जा रहा है वहीं इससे पहले किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच आधा दर्जन से भी अधिक बार बैठक हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों को संबोधित किया। नए कृषि कानूनों पर अपनी बात रखते हुए पीएम ने कहा कि विपक्ष इन कानूनों पर बार-बार झूठ फैला रहा है। नए कानूनों को लागू हुए छह महीने से ज्यादा समय बीत चुका है लेकिन एमएसपी खत्म नहीं हुई। उन्होंने कहा कि एमएसपी को लेकर उनकी सरकार गंभीर है और वह समय-समय पर इसे बढ़ाती रही है। पीएम ने कहा कि एमएसपी को यदि खत्म करना होता तो उनकी सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू ही नहीं करती। नए कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार में किसान और किसानों के हित सर्वोच्च प्राथमिकताओं मे से एक हैं।
इस बीच शनिवार शाम हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कृषि मंत्री से मुलाकात की। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि बातचीत अगले दो तीन दिनों में हो सकती, उन्होंने कहा इस मुद्दे का समाधान चर्चा के ज़रिए होना चाहिए।वहीं नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने शनिवार को संसद की तीन अलग-अलग समितियों की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने के मूड में बिल्कुल नहीं है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को को एक पत्र लिखा है जो कृषि मंत्री के पत्र का जवाब माना जा रहा है। इस पत्र में गया है कि वर्तमान में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं हैं।पीएम मोदी और तोमर को हिंदी में अलग-अलग लिखे गए पत्रों में समिति ने कहा कि सरकार की यह गलतफहमी है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को विपक्षी दलों द्वारा प्रायोजित किया जा रहा है।
किसान संगठन की तरफ से ये पत्र तब लिखे गए जब एक दिन पहले प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों पर किसानों को तीन कृषि कानूनों को लेकर गुमराह करने का आरोप लगाया था।समिति उन लगभग 40 किसान संगठनों में से एक है, जो पिछले 23 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
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