किसानों के आंदोलन से सरकार को थोड़ी राहत, देर रात खोला गया चिल्‍ला बॉर्डर

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Updated Dec 13, 2020 | 00:05 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने देर रात चिल्‍ला बॉर्डर खोल दिया। इससे दिल्‍ली और नोएडा के बीच आवागमन सुगम होने की उम्‍मीद की जा रही है।

किसानों के आंदोलन से सरकार को थोड़ी राहत, देर रात खोला गया चिल्‍ला बॉर्डर
किसानों के आंदोलन से सरकार को थोड़ी राहत, देर रात खोला गया चिल्‍ला बॉर्डर  |  तस्वीर साभार: ANI

नई दिल्‍ली : केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को 17 दिन हो गए हैं। अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसानों ने शनिवार को कई जगह बंद की रणनीति अपनाई। दिल्‍ली-जयपुर राजमार्ग को बंद करने के साथ-साथ किसानों ने हरियाणा में कई जगह टोल प्लाजा पर कब्जा कर लिया और कर्मचारियों को यात्रियों से शुल्क वसूलने नहीं दिया। हालांकि इस बीच किसानों ने चिल्‍ला बॉर्डर खोल दिया है, जिसे ट्रैफिक के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।

किसानों का कहना है कि अपनी मांगों की पूर्ति का आश्‍वासन मिलने के बाद उन्‍होंने चिल्‍ला बॉर्डर को खोल दिया है, जो दिल्‍ली से यूपी को जोड़ता है। एक किसान प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हमारे नेता आज (शनिवार, 12 दिसंबर) रक्षा मंत्री (राजनाथ सिंह) और कृषि मंत्री (नरेंद्र तोमर) से मिले। हमें भरोसा दिलाया गया है कि हमारी मांगें पूरी होंगी। इसलिए हमने सड़क खोल दिया।' देर रात लिए गए इस फैसले से दिल्‍ली-नोएडा के बीच आवागमन सुगम होने की उम्‍मीद की जा रही है।

केंद्रीय नेताओं से दुष्‍यंत चौटाला की मुलाकात

किसानों के इस फैसले को हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात से जोड़कर भी देखा जा रहा है। केंद्र सरकार के दिग्गज मंत्रियों से मुलाकात के बाद दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि सरकार किसानों के आंदोलन को लेकर गंभीर है। साथ ही उन्‍होंने उम्मीद जताई थी कि अगले 28 से 40 घंटे के भीतर इस विषय पर निर्णायक फैसला आ सकता है।

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) और मंडी समिति के मुद्दे पर झुकने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, आंदोलन जारी रहेगा। उनका साफ कहना है कि वे सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, पर उन्‍हें कानूनों को निरस्‍त किए जाने से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा। हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी कह चुके हैं कि MSP के मसले पर अगर केंद्र निर्णायक फैसले नहीं लेता तो उनके पास सख्त कदम उठाने के अलावा कोई अन्‍य विकल्प नहीं रहेगा।

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