नई दिल्ली: किसानों का एक साल से भी अधिक समय का आंदोलन अब खत्म (Farmer's Protest Ends) होने जा रहा है। दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर किसानों के टेंट उखड़ने शुरू हो गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेताओं ने अब 11 तारीख से देशभर से घर वापसी का ऐलान किया है। किसान मोर्चा ने कहा कि आंदोलन को स्थगित कर रहे हैं और मांगें नहीं पूरी हुईं तो फिर लौटेंगे। सिंघू बॉर्डर पर किसानों ने सरकार के फैसले पर खुशी जताई और कहा कि सरकार ने लगभग सभी मांगों को मान लिया है।
कानून वापसी के लिए किसानों ने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि लखीमपुर का मामला छोड़ा नहीं जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के कक्काजी ने कहा कि जिनको इस दौरान जिनको तकलीफ हुई उनसे मांफी मांगते हैं और साथ देने के लिए सभी का धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी किसानों के कई सवाल बाकि हैं। किसान मोर्चा ने कहा कि यह किसानों की बड़ी जीत है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हर महीने एसकेएम की समीक्षा बैठक होगी। किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि 11 दिसंबर से देशभर में जहां भी किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वो अपने घर लौटेंगे।
एक किसान नेता ने टाइम्स नाउ नवभारत से बात करते हुए कहा, 'सरकार ने हमारी सभी मांगे मान ली हैं। 10 दिसंबर को जनरल रावत की अंत्येष्टि होनी है इसलिए हम 11 दिसंबर से वापसी करेंगे। कुछ किसानों ने इस दौरान जश्न मनाने की तैयारी की है। हरियाणा में लोगों ने राजस्थान, यूपी और पंजाब लौटने वाले किसानों का भव्य तरीके से स्वागत करने का फैसला किया है।' वहीं सूत्रों की मानें तो हरियाणा के कुछ किसानों ने हेलीकॉप्टर भी बुक किया है जिससे किसानों के ऊपर फूलों की बारिश की जाएगी। 15 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी।
विरोध करने वाले किसानों को भारत सरकार से एक पत्र प्राप्त होता है, जिसमें एमएसपी पर एक समिति बनाने और उनके खिलाफ मामले तुरंत वापस लेने का वादा किया गया है। इसमें लिखा है, 'जहां तक मुआवजे की बात है तो यूपी और हरियाणा ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है।' इसके अलावा पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा की है। इस पत्र में किसानों की अन्य मांगों का भी जिक्र किया गया है और उनसे आंदोलन वापस लेने का आग्रह किया गया है।
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