रायपुर : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी नहीं रहे। उनका शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्हें करीब तीन सप्ताह पहले 9 मई को भी हार्ट अटैक हुआ था, जिसके बाद उन्हें रायपुर के नारायणा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत तभी से गंभीर बनी हुई थी और करीब 17 दिन पहले वह कोमा में भी चले गए थे। बुधवार रात एक बार फिर उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ, जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी।
अजीत जोगी के स्वास्थ्य को लेकर नारायणा अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. सुनील खेमका की ओर से मेडिकल बुलेटिन भी जारी किया गया था, जिसमें बताया गया कि उनकी हालत 27 मई तक स्थिर थी। लेकिन अगले दिन 28 मई को शाम 7 बजे के बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी और रात 11 बजे के आसपास उन्हें एक बार फिर कार्डियक अरेस्ट हुआ। उनका ब्लडप्रेशर भी बार-बार बदल रहा था। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। शुक्रवार दोपहर करीब 3:30 बजे उनका निधन हो गया।
अजीत जोगी के निधन के बाद उनके बेटे अमित जोगी ने ट्वीट कर बताया कि उनका अंतिम संस्कार शनिवार को उनकी जन्मभूमि गौरेला में होगा। छत्तीसगढ़ के मौजूदा सीएम भूपेश बघेल ने अजीत जोगी के निधन पर शोक जताते हुए इसे राज्य की राजनीति में एक बड़ी क्षति करार दिया। राज्य के पूर्व सीएम व बीजेपी नेता रमन सिंह ने भी अजीत जोगी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि उनके साथ ही प्रदेश का एक राजनीतिक इतिहास समाप्त हो गया है।
छत्तीसगढ़ की सियासत में अजीत जोगी का हमेशा से अहम स्थान रहा है। राज्य की राजनीति पर चर्चा उनके जिक्र के बगैर अधूरी मानी जाती है। नवंबर 2000 में जब मध्य प्रदेश से अलग होकर एक अलग राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ का गठन हुआ था, तब जोगी यहां के पहले मुख्यमंत्री बने और इसके साथ ही उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। उनकी गिनती कांग्रेस के तेज-तर्रार नेताओं में होती थी। हालांकि आगे चलकर उनका कांग्रेस से मतभेद हो गया और उन्होंने अपनी अलग पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) बना ली।
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