नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ 2.5 करोड़ से ज्यादा आबादी के साथ एक मध्य-आकार वाला राज्य, जो साल 2000 में मध्य प्रदेश से निकला। ऐसा कहा जाता है कि इस राज्य पर कोई भी चर्चा इसके दो विद्रोहियों के संदर्भ के बिना पूरी नहीं हुई है - एक सशस्त्र माओवादी और दूसरे कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हो या कांग्रेस पार्टी, सभी दिग्गज नेताओं ने यह माना कि अजीत जोगी को किसी भी कीमत छत्तीसगढ़ की राजनीति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
करीब 9 साल पहले कार दुर्घटना के बाद व्हीलचेयर पर घूमने वाले जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री थे। वह साल 2000 से 2003 तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के तौर पर सेवारत रहे। राज्य के चुनाव के अलावा वह संसद के दोनों सदनों का भी हिस्सा रहे। साल 2000 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कहा था, 'हां, मैं सपनों का सौदागर हूं. मैं सपने बेचता हूं'।
आइए एक नजर डालते हैं उनके राजनीतिक सफर के कुछ अहम सालों पर
2016 में बनाई थी अपनी पार्टी: कांग्रेस को अलविदा कहने के बाद अजीत जोगी ने साल 2016 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी (JCCJ) नाम से अपनी नई पार्टी बनाई थी। छत्तीसगढ़ की राजनीति में 2016 तक दो ही मुख्य पार्टियां थीं- कांग्रेस और बीजेपी, और जमीनी पकड़ रखने वाली कोई क्षेत्री पार्टी मौजूद नहीं थी। अजीत जोगी ने जनता को यही विकल्प देने के लिए अपनी पार्टी का गठन किया था।
राजनीति में आने से पहले थे IAS: राजनीति में आने से पहले अजीत जोगी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में रहे हैं, बाद में राजनीति में आने के लिए उन्होंने इसे छोड़ दिया। उन्होंने 'द रोल ऑफ डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर' और 'एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ पेरिफेरल एरियाज' नाम से दो किताबें भी लिखी हैं।
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