Frankly Speaking with Navika Kumar में कांग्रेस नेता Deepender Hooda ने कई बड़े और तीखे सवालों का सीधा जवाब दिया, कृषि कानून वापसी पर विपक्ष के रुख से लेकर सियासी हलचल तक, हर सवाल पर सुनिए दीपेंदर हुडा के सीधे जवाब!
टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार ने दीपेंद्र हुडा से पूछा कि आपको क्या लगता है, कि कृषि कानूनों की वापसी किसानों की जीत है या कांग्रेस की जीत है?
इसपर दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ये किसी राजनीतिक पार्टी की बात नहीं है। ये किसानों की जीत है। ये भारतीय किसानों के संघर्ष की जीत है। ये आंदोलन स्वतंत्र भारत का सबसे लंबा आंदोलन है, सबसे बड़ा आंदोलन है। जो काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा और किसान पूरे 1 साल अनुशासन में रहे। ये कोई आसान आंदोलन नहीं था। इस आंदोलन में 700 किसानों ने अपनी जान गंवाई।
नाविका कुमार ने दीपेंद्र हुडा से पूछा कि दीपेंद्र जी कुछ लोग सामने आए हैं और कह रहे हैं कि ये फैसला जो सरकार ने लिया है वो प्रधानमंत्री ने राजनेता के तौर पर लिया है, क्या आप इससे सहमत हैं?
दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मैं इससे कैसे सहमत हो सकता हूं 700 किसानों ने अपनी जान गंवाई, जब इस कानून को संसद में पास किया गया था, तो हमने संसद में इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाई। और किसान नेता समाने आए, और कहा कि किसान वापस नहीं जाएंगे। भारत का किसान ऐसा नहीं है वो किसी भी फैसले को बिना आवाज उठाए मान लेगा। तो अगर ये फैसला पहले लिया गया होता तो इन 700 परिवारों ने अपनों को नहीं खोया होता।
नाविका कुमार ने दीपेंद्र जी से पूछा कि काफी लोग कहेंगे कि 5 राज्यों में होने वाले चुनावों से पहले मोदी ने विपक्ष से मुद्दा छीन लिया है। ये आपका चुनावी नारा हो सकता था।
दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि काफी लोग तो ये भी कहेंगे कि बीजेपी ने ये कानून इसलिए वापस नहीं लिए क्योंकि जिन लोगों की जानें गईं उनकी उन्हें कोई चिंता है या जो किसान धरने पर बैठे हैं उनकी फिक्र है। बीजेपी ने ऐसा सिर्फ इसलिए किया क्योंकि 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। उन्हें सिर्फ इन राज्यों में अपने वोट शेयर की चिंता है। उन्हें सिर्फ चुनावी नफा-नुकसान की चिंता है इसीलिए उन्होंने ये फैसला लिया।
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