देश की राजधानी दिल्ली में इस बार गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा महोत्सव के बाद प्रतिमा विसर्जन को लेकर असमंजस की स्थिति देखने को मिल सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) की ओर से जिलाधिकारियों को साफ तौर पर यह चीज सुनिश्चित करने के लिए कही गई है कि इस साल गणेशोत्सव और दुर्गा पूजा के दौरान यमुना या किसी और जल निकाय में मूर्तियां विसर्जित न की जाएं।
डीपीसीसी ने सोमवार (29 अगस्त, 2022) को इस बाबत एक आदेश भी जारी किया, जिसमें कहा गया है कि निर्देश का उल्लंघन करने पर 50,000 रुपए का जुर्माना या फिर छह साल जेल की सजा तक हो सकती है।
ऐसे में डीपीसीसी ने शहरी स्थानीय निकायों को मूर्ति विसर्जन के लिए आवासीय क्षेत्रों के पास कृत्रिम (आर्टिफीशियल) तालाब बनाने के लिए भी कहा है। बोर्ड ने दिल्ली पुलिस को शहर में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियां ले जाने वाले वाहनों की एंट्री पर रोक लगाने का भी निर्देश दिया।
नगर निकायों से स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि वे सभी अंचल कार्यालयों को अवैध मूर्ति निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश जारी करें। डीपीसीसी ने कहा कि मूर्ति विसर्जन गंभीर समस्या पैदा करता है क्योंकि उन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाले जहरीले रसायन पानी में मिल जाते हैं।
बता दें कि 31 अगस्त, 2022 को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी और नौ सितंबर, 2022 को बप्पा को विदा किया जाएगा। यानी मूर्ति विसर्जन होगा।
हालांकि, राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 2015 में यमुना में मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन दिल्ली सरकार ने 2019 में इस संबंध में निर्देश जारी किए थे। ऐसे में लोगों के सामने बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि वे आखिरकार चतुर्थी और दुर्गा पूजा के बाद कहां इन मूर्तियों का विसर्जन करेंगे।
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