नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल ने रविवार दोपहर 12:15 मिनट पर दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान पर तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। उनके साथ 6 और मंत्रियों मनीष सिसोदिया, सतेंद्र जैन, गोपाल राय, राजेन्द्र पाल गौतम, कैलाश गहलोत और इमरान हुसैन ने मंत्री पद की शपथ ली।
अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सतेंद्र जैन, कैलाश गहलोत ने जहां ईश्वर को साक्षी मानकर पद और गोपनीयता का शपथ ली। वहीं दूसरी तरफ इमरान हुसैन ने अल्लाह को साक्षी मानकर मंत्री के रूप में शपथ ली। लेकिन गोपाल राय और राजेन्द्र पाल गौतम ने लीक से हटकर शपथ ली। गोपाल राय ने जहां आजादी के शहीदों को साक्षी मानकर शपथ ली वहीं राजेन्द्र पाल गौतम ने भगवान बुद्ध को साक्षी मानकर शपथ ली।
महाराष्ट्र में भी हुआ था विवाद
ऐसे में माना जा रहा है कि उनके तय फॉर्मेट से अलग शपथ लेने पर विवाद हो सकता है। क्योंकि महाराष्ट्र में सरकार गठन के समय इसी तरह शपथ ग्रहण के दौरान बदलाव की वजह से विवाद हुआ था। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शपथ दिलाते वक्त विधायकों को टोक दिया था। लेकिन दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने ऐसा नहीं किया।
शपथ ग्रहण के बाद गोपाल राय से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, शपथ में शहीदों का नाम लिया क्या गलत है। शहीदों की वजह से आजादी मिली उसी आजादी की वजह से सरकार बनी। ऐसे में उनके नाम पर शपथ लेने में क्या आपत्ति है?
नहीं नजर आई अन्ना टोपी
हालांकि इस बार शपथ ग्रहण के दौरान केजरीवाल सरकार के किसी भी मंत्री ने शपथग्रहण के दौरान पार्टी का पहचान मानी जाने वाली अन्ना टोपी नहीं पहनी। अन्ना हजारे के नेतृत्व में रामलीला मैदान में शुरू हुए भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल आंदोलन से लेकर अबतक अन्ना टोपी को पार्टी के साथ जोड़कर देखा जाता था लेकिन इस बार उसे भी जगह नहीं मिली। केजरीवाल ने एक नई राजनीति की शुरुआत की बाद चुनाव जीतने और शपथ ग्रहण के बाद की है। क्या आंदोलन की जड़ों और संस्कारों से दूर होना भी होना भी इस बदलाव में शामिल है।
बाबरपुर सीट से हुए हैं निर्वाचित
गोपाल राय ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में बाबरपुर सीट से तकरीबन 21 हजार वोट के अंतर से जीत हासिल की है। पिछली बार भी वो इसी सीट से निर्वाचित हुए थे और कैबिनेट मंत्री बने थे। लगातार दूसरी बार उन्हें केजरीवाल कैबिनेट में जगह मिली है। पिछली बार उन्हें श्रम और रोजगार मंत्री बनाया गया था।
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