नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आंदोलनरत किसान संगठनों को पत्र भेजकर उन्हें वार्ता के अगले चरण के लिए आमंत्रित किया है और उनसे तारीख बताने को कहा है। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की एक-दो दिन में मुलाकात करने की संभावना है। पश्चिम बंगाल दौरे पर गए शाह ने कहा, 'मैं समय के बारे में पूरी तरह से अवगत नहीं हूं, लेकिन किसानों के प्रतिनिधियों से उनकी मांगों पर चर्चा के लिए तोमर के सोमवार या मंगलवार मुलाकात करने की संभावना है।'
इससे पहले सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच 5 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन गतिरोध समाप्त नहीं हुआ। 9 दिसंबर को वार्ता स्थगित हो गई थी क्योंकि किसान यूनियनों ने कानूनों में संशोधन और न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया।
वहीं रविवार को किसानों ने घोषणा की कि वे सभी प्रदर्शन स्थलों पर सोमवार को एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे और 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता ने कहा, '27 दिसंबर को हमारे प्रधानमंत्री अपने ‘मन की बात’ करेंगे और हम लोगों से अपील करना चाहते हैं कि उनके भाषण के दौरान ‘थालियां’ पीटें।'
संवाददाता सम्मेलन में किसान नेता और भाकियू के वरिष्ठ सदस्य राकेश टिकैत ने कहा कि नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाएंगे। उन्होंने कहा कि हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि इस दिन वे दोपहर का भोजन न पकाएं।
मांगों पर डटे हैं किसान
दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे किसान संगठन तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार इनमें किसानों के हितों से जुड़े मुद्दों को शामिल कर संशोधन का प्रस्ताव दे चुकी है। 17 दिसंबर को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम एक पत्र लिखकर इन कानूनों से किसानों को होने वाले फायदे का जिक्र करते हुए विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया। इन पत्र के जवाब में प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री तोमर के नाम एक पत्र लिखा गया जिसमें सरकार द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों का जवाब दिया गया है।
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