सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि हाथरस में दलित लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार और बाद में अस्पताल में उसकी मृत्यु की घटना से संबंधित गवाहों के संरक्षण के लिये उठाये गये कदमों के बारे में बृहस्पतिवार तक विस्तृत जानकारी दी जाये।
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने सारे मामले को सीबीआई को सौंपने की इच्छा व्यक्त की क्योंकि राजनीतिक मकसद से इस मामले के बारे में फर्जी बातें की जा रही हैं।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस घटना को हृदय विदारक और अभूतपूर्व करार देते हुये कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि इस मामले की जांच सुचारू ढंग से हो।प्रदेश सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा, 'हाथरस मामले में एक के बाद एक तरह तरह की बातें की जा रही हैं। इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है।'
उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी निहित स्वार्थो के लिये अपने मकसदों के लिये फर्जी कहानियां नही बना सकेगा।राज्य सरकार ने पीठ से यह भी कहा कि हाथरस मामले में सीबीआई की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में करायी जा सकती है।
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने एपी सिंह को वकील नियुक्त किया
वहीं 2012 दिल्ली गैंगरेप केस के दोषियों का केस लड़ने वाले वकील एपी सिंह हाथरस गैंगरेप मामले के आरोपियों का भी बचाव करेंगे। आरोपियों के बचाव के लिए अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने एपी सिंह को नियुक्त किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राजा मानवेंद्र सिंह ने एपी सिंह से हाथरस मामले के आरोपियों का केस लड़ने के लिए कहा है। राजा मानवेंद्र सिंह अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। 'इंडिया टुडे' की खबर के अनुसार, प्रेस विज्ञप्ति में सिंह ने कहा कि एपी सिंह की फीस का भुगतान करने के लिए बहुत सारे पैसे एकत्र किए गए हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि हाथरस मामले के माध्यम से एससी-एसटी समुदाय का उच्च जाति के समाज को बदनाम करने के लिए 'दुरुपयोग' किया जा रहा है। इससे राजपूत समुदाय विशेष रूप से आहत हुआ है।
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