वाराणसी: वराणसी की ज्ञानवापी में पूजा के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 21 जुलाई को सुनवाई होनी है, ये याचिका माँ श्रृंगार गौरी मामले में याचिकाकर्ता महिलाओं ने दाखिल की है। याचिकाकर्ता के वकील विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि ज्ञानवापी परिसर में हुए सर्वे को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी की याचिका पर 21 जुलाई को सुनवाई होनी है। ऐसे में मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और पीएस नरसिम्हन की बेंच में सुनवाई के लिए लिस्ट कर दिया है।
ज्ञानवापी को लेकर इस वक्त वाराणसी के जिला जज भी सुनवाई कर रहे हैं, वही दूसरी तरफ हिंदू पक्ष पूजा करने के संवैधानिक अधिकार के तहत सावन के महीने में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा की मांग कर रहा है।
इस याचिका मुख्य रूप से तीन मांग उठाई गई हैं। जिसका मकसद श्रावण मास में भगवान शिव के भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए शिवलिंग दर्शन की इच्छा को पूरा किया जा सके।
1.भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराए जाने का आदेश दिया जाए ये आदेश प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत दिया जाए. याचिका में दलील दी गई है कि कार्बन डेटिंग से पता चलेगा कि शिवलिंग कितना प्राचीन है।
2. इसके साथ ही याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को शिवलिंग मिलने वाले स्थान का उचित सर्वेक्षण का आदेश देने या फिर जीपीआर यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सिस्टम के जरिए भूमिगत परिस्थिति का पता लगाने का आदेश देने की मांग की गई हैं। ये भी कहा गया है कि अगर उस जगह के नीचे किसी तरह के निर्माण का पता लगाने के लिए खुदाई की जरूरत हो तो वो भी करवाई जाए।
3. याचिका में तीसरी मांग है कि शिवभक्तों की आसानी के लिए 16 मई के कोर्ट कमिश्नर सर्वे में सामने आए शिवलिंगम के दर्शन के लिए लाइन स्ट्रीमिंग की व्यवस्था की जाए और इसका सजीव प्रसारण काशी विश्वनाथ ट्रस्ट की वेबसाइट पर किया जाए। इससे भक्त शिवलिंग से 83 फीट की दूरी पर मौजूद नंदी के पास खड़े होकर वर्चुअल दर्शन कर सकें।
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