नई दिल्ली: भारत में सभी स्कूली बच्चों में से एक चौथाई से अधिक बच्चे अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पढ़ते हैं, हालांकि हिंदी अब तक शिक्षा का सबसे बड़ा माध्यम बना हुआ है। देश में अभी भी 42 प्रतिशत बच्चों की पढ़ाई हिंदी माध्यम से हो रही है। इसके बाद अंग्रेजी दूसरे और फिर बंगाली तथा मराठी क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। जिन राज्यों में स्थानीय भाषा की तुलना में अंग्रेजी माध्यम में अधिक बच्चे हैं, उनमें पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के अलावा अधिकांश दक्षिणी राज्य और कई छोटे राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं।
अंग्रेजी स्कूल लेकिन निर्देश स्थानीय भाषा में
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-20 के लिए नवीनतम यूडीआईएसई (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है, जिसमें 15 लाख से अधिक स्कूलों के प्राथमिक से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक के लगभग 26.5 करोड़ बच्चे शामिल हैं। जो बात सामने निकलकर सामने आई है उसके मुताबिक, कई तथाकथित अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में, अक्सर स्थानीय भाषा में निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन ऐसे स्कूलों में एडमिशन भी ठीक ठाक होते रहते हैं।
हरियाणा में सबसे अधिक बढ़ोत्तरी
अंग्रेजी माध्यम चुनने वाले बच्चों के अनुपात में सबसे बड़ी वृद्धि हरियाणा में हुई है, जिसमें 2014-15 के 27.6 प्रतिशत छात्रों की तुलना में 23 प्रतिशत से अधिक की बढोतरी हुई है। इसके बाद तेलंगाना में 21.7 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई जहां 73.8% छात्रों ने भाषा का माध्यम अंग्रेजी में रखा है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में स्थानीय भाषा, तेलुगु में पढ़ने वाले छात्रों का अनुपात सबसे कम है।
26 फीसदी अंग्रेजी माध्यम
कुल मिलाकर देखा जाए तो देश के एक चौथाई यानि 26 फीसदी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पढ़ रहे हैं। दिल्ली के 59 फीसदी बच्चों के मां-बाप ने अपने बच्चों का एडमिशन अंग्रेजी स्कूलों में करवाया है। वहीं जम्मू कश्मीर ऐसा राज्य है जहां 100 फीसदी बच्चे अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पढ़ते हैं इसके बाद दूसरे नंबर पर तेलंगाना के 73 फीसदी बच्चे अंग्रेजी मीडियमें पढ़ते हैं।
हिंदी सबसे अधिक पढ़ाई का माध्यम
इन सबके इतर हिंदी अभी भी सबसे अधिक पढ़े जाना वाला माध्यम बना हुआ है। देश में जहां एक तिहाई बच्चे अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई कर रहे हैं वहीं हिंदी में पढ़ाई करने वालों की संख्या 42 फीसदी है। हिंदी के बाद, अंग्रेजी दूसरे, बंगाली तीसरे तथा मराठी चौथे स्थान पर है।
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