हिंदी सिनेमा में काम करने की ललक लिए यूपी, बिहार और देश के तमाम राज्यों से जब लोग आँखों में सपना लिए महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई पहुंचते हैं, तो उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ता है। ऐसी तमाम खबरें भी आती रहती हैं कि हिंदी भाषियों को मुंबई में जाने के बाद सपनों के लिए संघर्ष करने के अलावा भी क्षेत्रीय, भाषा और भी न जाने कितने स्तर पर संघर्ष करना पड़ता है। तो क्या हिंदी भाषी फिल्मों का गढ़ बनेगी यूपी की नई फिल्म सिटी।
कहां बनेगी ये फिल्म सिटी ?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में देश की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री बनाने की घोषणा की। उन्होंने अधिकारियों को नोएडा, ग्रेटर नोएडा या यमुना एक्सप्रेसवे में या उसके आसपास एक उपयुक्त भूमि की तलाश करने और एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया। योगी आदित्यनाथ के इस आधिकारिक बयान ने न जाने कितने लोगों के सपनों को पंख दे दिया। अपने घर परिवार को छोड़कर महाराष्ट्र के मुंबई में जाकर बसने और वहां संघर्ष करने वालों के लिए जैसे किसी ने नया आसमान बनाने की बात कह दी।
कई बॉलीवुड सितारों ने जताई खुशी
योदी आदित्यनाथ के इस आधिकारक बयान के बाद फिल्म जगत के कई सितारों ने इसकी सराहना करनी भी शुरू कर दी। सुशांत सिंह मामले में खुलकर बोलने वाली बॉलीवुड की क्वीन कंगना ने खुशी जाहिर करते हुए इसकी सराहना की। भजन गायक अनूप जलोटा ने भी यूपी के मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ की। बीजेपी नेता और भोजपुरी स्टार रहे मनोज तिवारी ने भी योगी के इस फैसले की सराहना की।
तय है हिंदी सिनेमा का गढ़ बनना
उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी के निर्माण से एक बात तो तय है कि हिंदी फिल्म जगत से जुड़े बहुत से लोग मुंबई का रुख न करके यूपी फिल्म सिटी में अपना भविष्य तलाशेंगे। जिस तरह से दक्षिण की फिल्मों का मुंबई से कुछ लेना देना नहीं होता और वहां के लोग वहीं अपनी भाषा की फिल्मों की मेकिंग से लेकर हर काम कर लेते हैं, वैसे ही संभव है कि यूपी में फिल्म सिटी बन जाने से ये हिंदी सिनेमा का गढ़ बन जाए। उत्तर भारतीय राज्यों को महाराष्ट्र तक की दूरी तय करने से फुर्सत मिल जाएगी और वो अपने नजदीक में अपना करियर बना सकेंगे।
मुंबई में फिल्म सिटी के होने से खास तबके के लोगों को ही उसका फायदा पहुंचता है। बहुत से लोग तो दिन-रात की नींद उड़ाकर भी आंखों में सपने लिए संघर्ष करते ही रह जाते हैं। उनकी पूरी उम्र निकल जाती है और न तो वो अपने घर के हो पाते हैं और न ही फिल्मी दुनिया के। फिल्म इंडस्ट्री में काम पाने की तलाश ही उनके रास्ते में नहीं आती बल्कि भाषा रूपी बड़ा सा पत्थर उनके उनके सपनों को ऐसी टक्कर मारता है कि वो दोबारा कभी उठ नहीं पाते। ऐसे में उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी के बनने से सच में कइयों को फायदा पहुंचेगा, ऐसा कहा जा सकता है।
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