Nirbhaya case: मौत के मुंह से बच निकलने की कोशिश में निर्भया के गुनहगार, मुकेश को अदालत से पड़ी डांट

देश
ललित राय
Updated Mar 18, 2020 | 14:18 IST

निर्भया के गुनहगारों को 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे फांसी दी जानी है। लेकिन दोषी बचने की जुगत में लगे हुये हैं।

nirbhaya case convict Mukesh Singh
nirbhaya case convict Mukesh Singh 
मुख्य बातें
  • 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे निर्भया के सभी गुनहगारों को दी जाएगी फांसी
  • फांसी से पहले दोषी बचने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं।
  • इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस से फांसी रोकने की दोषियों ने लगाई गुहार

नई दिल्ली। निर्भया के गुनहगारों को 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे फांसी दी जानी है। लेकिन दोषी बचने की जुगत में लगे हुये हैं। पहले दोषियों के वकील इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस पहुंचे तो दूसरी तरफ मुकेश सिंह ने कहा कि घटना वाले दिन वो दिल्ली में था ही नहीं लेकिन अदालत ने उस दलील को मानने से इंकार कर दिया था। उसके बाद अक्षय की पत्नी ने कहा कि वो विधवा होकर जीना नहीं चाहती है लिहाजा वो तलाक चाहती है।

कानून के साथ आंखमिचौली
अगर कहें कि कानून की हर एक बारिकियों का इस्तेमाल पवन गुप्ता, ्अक्षय सिंह, मुकेश सिंह और विनय शर्मा द्वारा की जा रही है तो गलत न होगा। लेकिन यहां हम बात करेंगे कि मुकेश सिंह की जिस पटियाला हाउस कोर्ट से डांट पड़ी लेकिन उससे दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। मुकेश के वकील से पटियाला हाउस कोर्ट के जज ने कहा कि अदालत का समय कीमती है और वकील साहबान को इसका ख्याल रखना चाहिए।

जज ने मुकेश के वकील को भी लगाई फटकार
एडिश्नल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने दोषी मुकेश की याचिका एक ही झटके में खारिज करते हुए कहा कि बार बार अदालत के सामने एक ही दलील क्यों पेश की जा रही है। इस तरह से कीमती समय जाया हो रहा है। यही नहीं उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पास एक संदेश भिजवाया और कहा कि दोषी के वकील एमएल शर्मा को संवेदनशील बनाए जाने की जरूरत है। बता दें कि एम एल शर्मा ने मुकेश की ओर से अदालत में याचिका लगाई थी।

वकील के दावे पर अदालत की ना
एम एल शर्मा ने दावा किया कि मुकेश की गिरफ्तारी दिल्ली से नहीं बल्कि राजस्थान से की गई थी। वकील की दलील थी कि 17 दिसंबर 2012 को उसे दिल्ली लाया गया था। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि जिस वक्त वारदात को अंजाम दिया गया था मुकेश घटना वाली जगह क्या दिल्ली में ही नहीं था। लेकिन सरकारी वकील इरफान अहमद ने कहा कि दोषी की याचिका बेदम है और सिर्फ तिकड़म कर फांसी को टालने की तरकीब मात्र है। 

 

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