नयी दिल्ली: भारत में कुल आबादी के दो फीसदी से कम लोग अभी तक कोविड-19 से प्रभावित हुए हैं और 98 फीसदी आबादी अब भी संक्रमण की चपेट में आ सकती है यह बात मंगलवार को सरकार ने कही।नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने संवाददाताओं से कहा कि कई राज्यों में महामारी का ग्राफ स्थिर हो रहा है। पॉल ने कहा, 'प्रसार पर रोक लगाने के लिए व्यापक प्रयास और जांच के कारण स्थिरता आई है।
कुछ राज्यों में चिंता बनी हुई है...मिश्रित स्थिति है लेकिन संपूर्ण रूप से स्थिरता है और वैज्ञानिक विश्लेषण से हमें पता चलता है कि महामारी कम हो रही है।' सरकार ने कहा कि भारत की कुल आबादी का 1.8 फीसदी ही कोविड-19 से प्रभावित हुआ है और 98 फीसदी आबादी अब भी संक्रमण की चपेट में आ सकती है।
पिछले 15 दिनों में उपचाराधीन मामलों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। इसने कहा कि तीन मई को संक्रमण की दर 17.13 फीसदी थी, जो अब घटकर 13.3 फीसदी रह गई है।
इसने बताया कि आठ राज्यों में कोविड-19 के एक लाख से अधिक मामले हैं और 22 राज्यों में संक्रमण की दर 15 फीसदी से अधिक है।
सरकार ने कहा कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कोविड-19 के मामलों में कमी आई है और संक्रमण दर भी कम हुई है। इसने बताया कि 199 जिलों में कोविड-19 के मामलों और संक्रमण दर में पिछले दो हफ्ते में कमी आई है।उन्होंने कहा कि अमेरिका में अभी तक 10.1 फीसदी आबादी संक्रमित हुई है, ब्राजील में 7.3 फीसदी, फ्रांस में नौ फीसदी और इटली में 7.4 फीसदी आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित हुई है।
'ब्लैक फंगस' के बारे में पॉल ने कहा कि अभी संख्या इतनी ज्यादा नहीं है लेकिन इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।उन्होंने कहा, 'हमने ब्लैक फंगस को लेकर सभी राज्यों से चर्चा की है और एम्फोटेरीसीन बी की उपलब्धता को लेकर दबाव है और अभी तक संख्या इतनी अधिक नहीं है लेकिन हम इसे हल्के में नहीं ले सकते। कई मामलों के माध्यम से हमें पता चला कि अनियंत्रित मधुमेह और खासकर कोविड में तथा स्टेरॉयड के इस्तेमाल से इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, जिन्हें भी मधुमेह है, उन्हें इसे नियंत्रण में रखने का प्रयास करना चाहिए।' बच्चों में कोविड संक्रमण के बारे में पॉल ने कहा कि यह देखा गया कि बच्चे प्रभावित हैं, लेकिन उनमें लक्षण नहीं हैं।
तमिलनाडु, असम और पंजाब में अगले दो हफ्तों के दौरान कोरोना वायरस के मामले अपने चरम पर पहुंच सकते हैं। यह जानकारी 'सूत्र' मॉडल से मिली है। यह गणित मॉडल कोरोना वायरस के मामलों की तीव्रता का अनुमान जताने में मदद करता है।मॉडल के मुताबिक, राहत की बात यह है कि दिल्ली और महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश में संक्रमण के मामले अपने चरम पर पहुंच चुके हैं।
उसने यह भी कहा कि देश में चार मई को मामले चरम पर पहुंच गए थे और फिर दैनिक मामलों में गिरावट दिखने लगी थी। हालांकि सात मई को देश में 4,14,188 मामले रिकॉर्ड हुए थे जो सर्वाधिक एक दिनी बढ़ोतरी थी।आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम विद्यासागर ने बताया, 'तमिलनाडु, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, असम जैसे बड़े राज्यों में अभी मामलों की चरम स्थिति आनी है।'
वह मॉडल पर काम कर रहे तीन वैज्ञानिकों में से एक हैं।मॉडल बताता है कि तमिलनाडु में 29-31 मई के बीच कोरोना वायरस की चरम स्थिति आ सकती है जबकि पुडुचेरी में 19-20 मई को कोविड की चरम स्थिति आ सकती है।मॉडल के मुताबिक, पूर्वी और पूर्वोत्तरी भारत में भी मामलों की चरम स्थिति आनी बाकी है। असम में 20-21 मई को कोरोना वायरस के मामले अपने चरम पर पहुंच सकते हैं।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राज्य में सोमवार को 92 लोगों की मौत भी हुई है जो अब तक एक दिन में मृतकों की सर्वाधिक संख्या है।मॉडल में अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर में संक्रमण में कमी का अनुमान जताया गया है और इन राज्य में मामलों में कमी रिकॉर्ड की गई है लेकिन उनमें मामूली बढ़ोतरी होने लगी है। मेघालय में कोविड-19 की चरम स्थिति 30-31 मई को जबकि त्रिपुरा में 26-27 मई को आ सकती है।
हिमाचल प्रदेश में 24 मई तक मामले अपने चरम पर पहुंच सकते हैं जबकि पंजाब में यह स्थिति 22 मई तक आने के आसार हैं।ओडिशा में कोरोना वायरस की चरम स्थिति 16-17 मई को आ चुकी है।महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, केरल, सिक्किम, उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा के साथ-साथ दिल्ली एवं गोवा में कोरोना वायरस की चरम स्थिति निकल चुकी है।स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कोविड मामलों में गिरावट और संक्रमण दर में कमी देखी गई है।
गणित मॉडल कोरोना वायरस के मामलों की तीव्रता का अनुमान जताने में मदद करता है और इसके आधार पर नीतिगत फैसले लिए जा सकते हैं।विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने कोरोना वायरस के मामलों में तेजी का अनुमान जताने के लिए गणित मॉडल पर काम करने के लिए वैज्ञानिकों का एक समूह गठित किया था जिसके बाद पिछले साल सूत्र मॉडल अस्तित्व में आया था।कोविड-19 की दूसरी लहर की प्रकृति का सटीक अनुमान नहीं जताने पर मॉडल की खासी आलोचना हुई है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने एक बयान जारी किया है जिस पर विद्यासागर, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर, मनिंद्र अग्रवाल, 'इंटिग्रेटिड डिफेंस स्टाफ' की उप प्रमुख माधुरी कानिटकर के हस्ताक्षर हैं। बयान में कहा गया है कि गणिज्ञ मॉडल ने अप्रैल के तीसरे हफ्ते में कोरोना वायरस की दूसरी लहर और इसके चरम स्थिति का अनुमान जताया था जिसमें रोजाना एक लाख मामले आने की बात कही गई थी। लेकिन मामलों की संख्या मॉडल के अनुमान की तुलना में काफी अधिक थी।
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