नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन तनाव के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन ने सीमा क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैनिकों के जमावड़े को लेकर पांच अलग-अलग कारण बताए हैं। चीन के साथ लगने वाले सीमा क्षेत्र में अप्रैल के आखिर से ही जारी तनाव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इससे एशियाई पड़ोसियों के बीच संबंधों को बड़ा नुकसान हुआ है।
ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जून में भारत और चीन के बीच हिंसक सैन्य झड़पों का हवाला देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के संबंध मौजूदा समय में 'सबसे कठिन दौर' से गुजर रहे हैं। यहां उल्लेखनीय है कि जून में भारत-चीन के बीच हिंसक सैन्य झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की जान चली गई थी। चीन ने अभी तक औपचारिक रूप से यह नहीं बताया है कि उसे इस हिंसक झड़प में कितना नुकसान हुआ। हालांकि रिपोर्ट्स में चीनी पक्ष को भारी नुकसान होने का दावा किया गया है।
जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि पिछले तीन-चार दशकों में इससे पहले 1975 में दोनों देशों की सीमा पर हिंसक झड़प हुई थी। 1988 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी के बीजिंग दौरे के बाद से दोनों देशों के संबंध आम तौर पर सकारात्मक रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप व्यापारिक संबंधों में मजबूती आई और पर्यटन के क्षेत्र में भी आपसी सहयोग बढ़ा। सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए भी दोनों देशों की ओर से प्रयसा किए गए, लेकिन इस समय जो हालात हैं, उससे काफी कुछ बदल गया है।
विदेश मंत्री ने कहा, 'चीन के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत ने राष्ट्रीय भावना को पूरी तरह बदल दिया। अब के साथ हम किस तरह रिश्तों को पटरी पर लाते हैं, यह एक बड़ा मुद्दा है।' भारत-चीन संबंधों के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'इस साल रिश्ते काफी खराब हुए हैं। हम बहुत स्पष्ट हैं कि LAC पर शांति और स्थिरता बनाए रखना बाकी रिश्तों की प्रगति का आधार है।'
वैश्विक स्तर पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आज दुनिया के साथ चीन के जिस तरह के संबंध हैं, वह 20 वर्ष पहले की तुलना में बिल्कुल अलग है। आज दुनिया के समक्ष एक राष्ट्रवादी चीन है, जो उसकी नीतियों से कई बार परिलक्षित हुई है।
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