नई दिल्ली : अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत लगातार कदम उठा रहा है। भविष्य में तीनों सेनाओं की जरूरतों एवं सामरिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए रक्षा सौदों को अमली जामा पहनाया जा रहा है। इसी क्रम में भारत ने शुक्रवार को लंबे समय से लंबित छह अत्याधुनिक पनडुब्बी के निर्माण के लिए 50 हजार करोड़ की लागत वाली परियोजना को मंजूरी दे दी। खास बात यह है कि इन सभी पनडुब्बियों का निर्माण देश में होगा। यह परियोजना भारत के लिए काफी अहम मानी जा रही है।
डीएसी ने मेगा परियोजना को मंजूरी दी
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने इस परियोजना को अनुमति दी है। परियोजना को अनुमति मिल जाने के बाद नौसेना के लिए छह पनडुब्बियों के देश में निर्माण के वास्ते प्रस्ताव का अनुरोध (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) शीघ्र जारी किया जाएगा। यह प्रस्ताव मझगांव डॉक्स और निजी पोत निर्माण कंपनी एलएंडटी को जारी किया जाएगा। एक लंबी प्रक्रिया के बाद 'प्रोजेक्ट-75 इंडिया (पी-75आई)' के इन दोनों कंपनियों का चयन हुआ है।
विदेशी पोत कारखाने से होगा करार
बता दें कि पी-75आई रणनीतिक साझेदारी (एसपी) के तहत शुरू होने वाली पहली परियोजना होगी। इसकी रूपरेखा एवं प्रस्ताव एनडीए सरकार ने 'मेक इन इंडिया' के तहत मई 2017 में बनाया था। आरएफपी जारी हो जाने के बाद ये दोनों कंपनियां अपनी तकनीकी एवं वित्तीय बोली लगाने के लिए चयनित पांच विदेशी पोत कारखानों में से किसी एक के साथ करार करेंगी। ये पांच कंपनियां हैं रूस की रोसोबोरोनेक्स पोर्ट/रूबिन डिजाइन ब्यूरो, फ्रांस की नेवल ग्रुप-डीसीएनएस, जर्मनी की थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम, स्पेन की नवन्तिआ और दक्षिण कोरिया की दाएऊ।
पहली पनडुब्बी मिलने में 7 साल लगेंगे
रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि नीलामी के लिए चयनित होने में एक वर्ष का समय लगेगा। फिर वास्तविक करार पर हस्ताक्षर होंगे। इसके बाद पहली पनडुब्बी को मिलने में कम से कम सात वर्ष लगेंगे। ऐसे में रकम का भुगतान भी 10 से 12 सालों के बीच होगा। इस मेगा परियोजना के तहत बनने वाली छह स्टील्थ पनडुब्बियां जमीन और हवा में मार करने वाली क्रूज मिसाइलों से लैस होंगी। इससे समुद्र में नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी।
चीन-पाकिस्तान को घेरने की तैयारी
हिंद महासागर में चीन की पनडुब्बियों और युद्धपोतों के दखल को देखते गुए नौसेना अपनी क्षमताओं में इजाफा कर रही है। चीन के पास 350 से ज्यादा युद्धपोत हैं इनमें 50 पारंपरिक और 10 परमाणु पनडुब्बियां हैं। वह इस दशक के अंत तक अपने युद्धपोतों की संख्या बढ़ाकर 420 करना चाहता है। पाकिस्तान भी चीन की मदद से युआन क्लास की डीजल से चलने वाली आठ पनडुब्बियां हासिल करने की प्रक्रिया में है।
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