जेनेवा। यूएनएचआरसी के 43वें सेशन में भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। भारत की तरफ से परमानेंट मिशन ऑफ इंडिया के फर्स्ट सेक्रेटरी सेंथिल कुमार ने कहा कि जिस तरह से योजनाबद्ध और संस्थागत तौर पर ईशनिंदा को हथियार बनाकर पाकिस्तान अपने यहां अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव कर रहा है वो देखने वाली बात है। यही नहीं अल्पसंख्यकों को जिस तरह से डराया गया है उसे पूरी दुनिया ने देखा है।
यूपीआर पर चर्चा के लिए मिले ज्यादा समय
भारत का स्पष्ट मानना है कि सार्वभौमिक अंतराल पर हालात की समीक्षा जैसी व्यवस्था को उपयोग में लाने की जरूरत है। इसके जरिए हर किसी के अधिकार, स्वतंत्रता को न केवल बढ़ावा मिलेगा बल्कि उसकी सुरक्षा भी होगी। भारत सरकार के मांग है कि यूपीआर के लिए ज्यादा से ज्यादा समय दिया जाए ताकि लोगों के अधिकारों पर और पारदर्शी तरह से चर्चा हो।
बलूचियों और हजारा के बारे में भी सोचे पाकिस्तान
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड खुद ब खुद बताता है कि वो मानवाधिकारों खासतौर से अल्पसंख्यकों के हित के लिए कितना सजग रहा है। जिस तरह से लोगों को गायब किया जाता है, राज्य प्रायोजित हिंसा की जाती है, एनकाउंटर्स होते हैं, सैन्य कार्रवाई होती है, लोगों को यातना दी जाती है। कोई नहीं जानता है कि 47 हजार बलूच औक 35 हजार पश्तून कहां है। जिस तरह से पंथ आधारित हिंसा हुई है उसमें 500 हजारा बलूचिस्तान में न सिर्फ मार दिए गए बल्कि 1 लाख से अधिक हजारा पाकिस्तान छोड़कर भाग गए।
सिंध की हालात को देखे इमरान सरकार
भारत ने कहा कि जहां तक पाकिस्तान की बात है एक बात स्पष्ट है कि किस तरह से पीओकेस गिलगित बाल्टिस्तान में लोगों पर जुल्म ढाए जा रहे हैं और उसके विरोध में लोग सड़कों पर उतरने के साथ सैन्य दमन की परवाह नहीं करते हैं। पाकिस्तान को भारत पर आक्षेप लगाने से पहले खुद के बारे में सोचना चाहिए। सिंध प्रांत में क्या कुछ हो रहा है उसके बारे में उसे ध्यान देना चाहिए।
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