कोलकाता : देश आज महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है, जिसे 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मौके पर नेताजी को श्रद्धांजलि देने के लिए एक भव्य जुलूस की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने नेताजी की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की अपील केंद्र सरकार से की तो यह प्रस्ताव भी रखा कि क्रमिक आधार पर भारत की चार राजधानियां होनी चाहिए। उन्होंने आजाद भारत के लिए नेताजी की परिकल्पना 'योजना आयोग' को फिर से बहाल करने की मांग भी और कहा कि नीति आयोग और योजना आयोग सह अस्तित्व में रह सकते हैं।
शहर के उत्तरी हिस्से में स्थित श्याम बाजार क्षेत्र में जुलूस की शुरुआत करने से पहले बनर्जी ने शंखनाद किया। सवा बारह बजे सायरन भी बजाया गया। 23 जनवरी 1897 को सुभाष चंद्र बोस का जन्म इसी समय हुआ था। सात किलोमीटर लंबे जुलूस का समापन रेड रोड पर स्थित नेताजी की प्रतिमा पर हुआ, जहां बनर्जी ने जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा, 'रवीन्द्रनाथ टैगोर ने नेताजी को देशनायक बताया था। इसलिए हमने इस दिन को देशनायक दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया। नेताजी देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। वह एक महान दार्शनिक थे।'
पश्चिम बंगाल की सीएम ने इस दौरान क्रमिक आधार पर देश की चार राजधानियों का प्रस्ताव भी रखा और कहा, 'ब्रिटिशकालीन भारत में कलकत्ता से शासन हुआ करता था। वे पूरे देश पर यहीं से शासन करते थे। लेकिन हमारे देश में सिर्फ एक राजधानी क्यों हो? मुझे लगता है कि क्रमिक आधार पर चार राजधानियां होनी चाहिए।'
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2014 में योजना आयोग को भंग कर उसकी जगह नीति आयोग उसकी जगह नीति आयोग लाने के केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि इसकी परिकल्पना आजाद भारत के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने की थी। उन्होंने कहा, 'क्यों योजना आयोग को भंग किया गया जिसकी परिकल्पना नेताजी ने आजाद भारत के लिए की थी?'
नेताजी सुभाष चंद्र की 125वीं जयंती पर यहां नेताजी भवन पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने एक बार फिर 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग की और कहा, 'क्यों नेताजी की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की हमारी सरकार की मांग अब भी लंबित है?' उन्होंने सुभाषचंद्र बोस को ऐसी हस्ती बताया, जिन्होंने देश के सभी समुदायों की एकता की वकालत की।
उन्होंने कहा कि नेताजी ने जब आजा हिंद फौज की स्थापना की तो उन्होंने इसमें गुजरात, बंगाल, तमिलनाडु सभी जगह के लोगों को शामिल किया। उन्होंने हमेशा 'बांटो और राज करो' के अंग्रेजों के शासन का विरोध किया। केंद्र की मोदी सरकार सरकार द्वार बीते कुछ समय में कई प्रतिमाओं और नए संसद भवन के निर्माण का हावाला देते हुए ममता बनर्जी ने कहा, 'उन्होंने मूर्तिअयों और नए संसद परिसर के निर्माण पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए हैं। हम आजाद हिंद स्मारक बनाएंगे।'
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