नई दिल्ली : अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन तीन दिवसीय भारत दौरे पर हैं, जिसके दूसरे दिन शनिवार को उनकी मुलाकात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने सहित कई महत्वपूर्ण मसलों पर चर्चा हुई। इसमें मुख्य रूप से भारत और अमेरिका के बीच 'मिलिट्री एंगेजमेंट' यानी दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी भागीदारी बढ़ाने पर चर्चा हुई और इस मसले पर सहमति भी बनी।
अमेरिकी रक्षा मंत्री से बैठक के बाद राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देश 'वैश्विक रणनीतिक साझेदारी' को पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत कमान, मध्य कमान और अफ्रीका कमान में सैन्य सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। भारत और अमेरिका की सेना के बीच आपसी भागीदारी बढ़ाने के साथ-साथ सूचनाओं को साझा करने और साजो-सामान संबंधी सहयोग को लेकर भी सहमति बनी।
भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों से जुड़े मूलभूत समझौतों का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों ने आपसी हित के लिए LEMOA (साजो-सामान के आदान-प्रदान संबंधी समझौते), COMCASA (संचार संगतता और सुरक्षा समझौता) और BECA (बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौते) जैसे समझौतों को पूरी दक्षता के साथ लागू करने के लिए आवश्यक कदमों पर बातचीत की।
अमेरिकी रक्षा मंत्री की भारत यात्रा से जहां दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को नई ऊंचाई मिलने की उम्मीद की जा रही है, वहीं चीन के लिए यह टेंशन की बात हो सकती है। खासकर ऐसे में जबकि दोनों देशों के साथ उसके संबंध विगत कुछ समय में तनावपूर्ण बने हुए हैं। भारत और अमेरिका ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला व समावेशी बनाए रखने की दिशा में भी सहयोग को लेकर भी संकल्प जताया, जो अपने आप में अहम है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के बीच इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। इसे लेकर 12 मार्च को क्वाड देशों का पहला शिखर सम्मेलन भी हुआ, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्वतंत्रता पर जोर देते हुए चीन को कड़ा संदेश दिया। अब भारत और अमेरिका के रक्षा मंत्रियों की बातचीत में भी यह मुद्दा उठा है और दोनों देशों ने इस दिशा में सहयोग को लेकर प्रतिबद्धता जताई है।
इसे अमेरिकी रक्षा मंत्री के इस बयान से भी समझा जा सकता है, जिसमें उन्होंने भारत के साथ समग्र व प्रगतिशील रक्षा साझेदारी को लेकर एक बार फिर से प्रतिबद्धता जताते हुए भारत को क्षेत्र के लिए अमेरिकी रुख का 'मुख्य स्तम्भ' बताया। उन्होंने भारत और अमेरिका के संबंधों को मुक्त व खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र का 'मजबूत केंद्र' करार दिया और कहा कि तेजी से बदल रहे अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भारत एक बहुत महत्वपूर्ण साझीदार है।
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