नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच महीनेभर से जारी सैन्य टकराव को दूर करने के लिए दोनों देश लगातार प्रयासरत हैं। इस बीच शनिवार को भारत और चीन के सैन्य कमांडर्स की मुलाकात व बातचीत भी इस मसले पर हुई। पूर्वी लद्दाख के चुशूल सेक्टर के मालदो में भारत और चीन के सैन्य कमांडर्स की बातचीत के बीच सेना ने बयान जारी करते हुए कयासों से बचने की अपील की है।
भारतीय सेना के प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत-चीन सीमा क्षेत्र में हुए विवाद का समाधान ढूंढने में दोनों देश लगे हैं। सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर हम आपसी संपर्क में हैं। ऐसे में इस वक्त किसी भी तरह के कयास से बचने की जरूरत है। इस मामले में अटकलों पर आधारित या किसी निराधार रिपोर्टिंग से कुछ भी सकारात्मक हासिल नहीं होगा। इसलिए मीडिया को इस तरह की रिपोर्टिंग से बचने की जरूरत है।
भारत और चीन के सैनिकों के बीच बीच 5 मई को पैंगोंग त्सो में झड़पें हुई थीं। इसके बाद ऐसे अन्य कई मौके आए, जब दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे से भिड़े। सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच दोनों देशों की ओर से अतिरिक्त सैन्य बलों को भी सीमा क्षेत्र में रवाना किया गया, जबकि कई बड़ी संख्या में अत्याधुनिक हथियार प्रणाली को भी सीमा क्षेत्रों के लिए रवाना किया गया। इस बीच दोनों देशों के बीच कूटनीतिक व सैन्य स्तर पर संपर्क भी जारी है।
एलएसी पर बढ़ते तनाव को देखते हुए शनिवार को भारत और चीन के बीच सैन्य कमांडर्स की वार्ता के लिए भारत की ओर से जहां 14वीं कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह को नामित किया गया, वहीं चीन की ओर से इसके लिए मेजर जनरल लियू लिन को नामित किया गया, जो चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के दक्षिण झिंजियांग क्षेत्र के सैन्य कमांडर हैं।
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