Kargil Vijay Diwas: जब चरवाहों से खाना बचाने की भूल पाकिस्तान पर पड़ी भारी, भारत ने यूं पलटी थी बाजी

देश
किशोर जोशी
Updated Jul 25, 2020 | 17:05 IST

Kargil Vijay Diwas: 21 साल पहले कारगिल की ऊँची पहाड़ियों पर जब पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ करके अपने ठिकाने बना लिए थे तो भारतीय सेना को कार्रवाई करनी पड़ी जिसके बाद इसने युद्ध का रूप ले लिया।

Indian Shepherd Played A Big Role In Indian Army's Kargil War Victory
Kargil: चरवाहों को लेकर एक भूल पाक पर पड़ी थी भारी, हुआ पस्त 
मुख्य बातें
  • कारगिल में पाक की दगाबाजी ने भारत को दिए सबक और मजबूती से उभरी भारतीय फौज
  • 1999 में लगभग 60 दिन तक चले कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को खानी पड़ी थी मुंह की
  • भारतीय सैनिकों ने एक असंभव दिखने वाली बाजी को जीत में किया था तब्दील

नई दिल्ली: 21 साल पहले का वह कारगिल युद्ध भला कौन भूल सकता है जब भारतीय सेना के आगे पाक को मुंह की खानी पड़ी थी। पाकिस्तानी सेना और उसके घुसपैठियों ने मई की शुरूआत से ही कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा करना शुरू कर दिया था। इस दुर्गम पहाड़ी इलाके में पाकिस्तान ने बडे हिसाब और चतुराई से घुसपैठ कर कब्जा किया था। शुरूआत में भारत को लगा कि यह मामूली घुसपैठ है लेकिन बाद में जब पता चला कि पाकिस्तान ने बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है तो सरकार ने ऑपरेशन विजय शुरू करते हुए बड़ी तादाद में सैनिकों को भेज दिया।

चरवाहों द्वारा घुसपैठ का चला पता
8 मई 1999 को पाकिस्तान की 6 नॉर्दन कमांड लाइट इंफ्रै्ट्री के कैप्टन इफ्तखार एक हवालदार 12 सैनिकों के साथ कारगिल की आजम चौकी पर बैठे हुए थे और इसी दौरान उनकी नजर कुछ दूरी पर मौजूद भारतीय चरवाहों पर पड़ी। 'विटनेस टू ब्लंडर: कारगिल स्टोरी अनफोल्ड्स' नाम की किताब के मुताबिक, इसके बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने तय किया क्यों न इन चरवाहों को बंदी बना लिया जाए? लेकिन इतनी ऊंचाई वाले जगह पर फिर उन्हें अपने राशन की चिंता होने लगी क्योंकि अगर बंदी बना लेते तो फिर खाना खिलाना पड़ता और राशन उनके पास पहले से ही कम था। इस तरह भारतीय चरवाहे वहां से चले गए। बाद में ये चरवाहे जब वापस आए तो इनके साथ करीब आधा दर्जन सेना के जवान थं। इन सभी ने वहां का मुआयना किया फिर वापस चले गए। 

तब तत्कालीन सेना प्रमुख थे विदेश यात्रा पर

बीबीसी के मुताबिक, करीब दो बजे वहां एक लामा हेलीकॉप्टर उड़ता हुआ नजर आया जो आसमान में इतने नीचे उड़ रहा था कि जमीन से उसमें पायलट का बैच तक साफ नजर आ रहा था। इसके बाद जब भारत को पता चला कि कारगिल में पाकिस्तान के काफी सैनिक जमा हैं और उन्होंने पहाड़ियों पर कब्जा किया हुआ, तो भारतीय सेना ने अपनी तैयारी शुरू कर दी। गौर करने वाली बात ये है कि जिस समय यह पता चला कि पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया है उस समय तत्कालीन सेना प्रमुख वेद मलिक चेक गणराज्य की यात्रा पर गए थे जबकि अगले दिन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नाडिस की मॉस्को यात्रा प्रस्तावित थी।

मुशर्रफ की करतूत

 इसके बाद भारतीय फौज ने जैसी कार्रवाई की, उसे पाकिस्तान शायद ही कभी भूल पाएगा। पहले तो आर्मी ने सोचा था कि वह अपने स्तर पर इस घुसपैठ और पाकिस्तानी कब्जे से निपट लेगी लेकिन जब पता चला कि पाकिस्तान बहुत अंदर तक कब्जा कर चुका है तो फिर राजनैतिक नेतृत्व को इस बात की जानकारी हुई जो एक पल के लिए हैरान हो गया। कहा जाता है कि कारगिल युद्ध के बारे में तत्कालीन पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ को भी जानकारी नहीं थी और यह सब तब के पाक सेना प्रमुख जरनल परवेज मुशर्रफ के कहने पर किया गया था।

हारी बाजी को जीत में बदला था भारतीय सेना और एयरफोर्स ने

पाकिस्तान चूंकि ऊंची चोटियों पर मौजूद था उसके लिए हालात अनुकूल थे लेकिन भारतीय सैनिकों का जज्बा था कि उन्होंने एक उलटी हुई बाजी को अपने पक्ष में करना शुरू कर दिया था। सबसे पहले तोतोलिंग पर कब्जा किया फिर उसके बाद टाइगर हिल जैसी चोटी पर भी कब्जा कर लिया। इस दौरान ना केवल भारतीय आर्मी बल्कि वायुसेना ने भी पाकिस्तान को खासा नुकसान पहुंचाया। एयरफोर्स ने 26 मई 1999 को ऑपरेशन सफेद सागर लॉन्च किया और दौरान भारत के दो फाइटर जेट एमआई 17 और मिग 27 को पाकिस्तान ने स्ट्रिंगर मिसाइल के जरिए मार गिराया था।

60 दिनों तक चले युद्ध में पाकिस्तान 

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