नई दिल्ली : चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव के बीच देश के रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने कई लड़ाकू विमानों की खरीद के प्रस्ताव की मंजूरी दे दी। डीएसी ने 12 एसयू-30 एमकेआई और 21 मिग-29 लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी। साथ ही मौजूदा 59 मिग-29 विमानों के अपग्रेडेशन को भी मंजूरी दे दी। इस संबंध में बड़ा फैसला आज (गुरुवार, 2 जुलाई) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में हुई डीएससी की बैठक में लिया गया, जिससे भारतीय रक्षा तंत्र और मजबूत होगा तथा भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ेगी।
रूस से मिग-29 विमानों की खरीद और मौजूदा विमानों के अपग्रेडेशन पर जहां 7418 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है, वहीं एसयू-30 एमकेआई की खरीद हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से की जाएगी, जिस पर करीब 10730 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। यह फैसला भारतीय वायुसेना (IAF) में लड़ाकू स्क्वाड्रन बढ़ाने की मांग को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण है, जो लंबे समय से लंबित था।
वहीं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को बड़ा बल देते हुए डीएसी ने यहां विकसित लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र के अधिग्रहण को भी मंजूरी दे दी है, जिसे भारतीय सेना के साथ-साथ भारतीय वायुसेना भी खरीदेगी। डीएसी की बैठक में 38,900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिसमें भारतीय उद्योग से 31,130 करोड़ रुपये का अधिग्रहण भी शामिल है।
'आत्मनिर्भर भारत' के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान को ध्यान में रखते हुए रक्षा उपकरणों का निर्माण भारत में कई एमएसएमई की भागीदारी के साथ किया जाएगा। ये परियोजनाएं स्वदेशी उद्योग को डीआरडीओ द्वारा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के कारण ही संभव हो पाई हैं, जिसमें सेना के लिए पिनाका गोला-बारूद, बीएमपी आयुध अपग्रेड्स और सॉफ्टवेयर डिफाइन रेडियो, लंबी दूरी के लैंड अटैक क्रूज मिसाइल सिस्टम और नौसेना व वायु सेना के लिए अस्त्र मिसाइल शामिल हैं।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।