Independence day 2021 :हमने कभी नहीं सोचा कि हमारा बेटा क्यों शहीद हुआ ? किसी न किसी को तो करना ही था

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Aug 14, 2021 | 11:21 IST

कारगिल युद्द को लड़े हुए 20 साल से ज्यादा हो गए हैं। उस जीत के नायकों में कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया है। उनके पिता गिरिधारी लाल बत्रा से जानिए विक्रम बत्रा की कुछ अनसुनी बातें

captain vikram batra
शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा 
मुख्य बातें
  • कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता चाहते हैं कि कारगिल युद्द का एक इतिहास लिखा जाय । वह दुनिया के सबसे कठिनतम युद्धों में से एक था
  • विक्रम बत्रा के पिता का कहना है शहीद जवानों का जज्बा भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसा ही होता है।
  • नई पीढ़ी को संदेश देते हुए कहते हैं कि केवल ऐशो-आराम के पीछे नहीं भागें, समाज और देश के लिए कुछ करने का जज्बा जरूर पैदा करें।

साल 1999 में लड़ा गया कारगिल युद्ध आज भी सबके जेहन में है। उस युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा ने अदम्य साहस दिखाते हुए चोटी 5140 पर फतह करने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने न केवल पाकिस्तान के 7 जवानों को ढेर किया था बल्कि बंकर भी नष्ट कर दिया था। इसके बाद  प्वाइंट 4875 के फतह के दौरान, वह वीरतापूर्वक लड़ते हुए 7 जुलाई 1999 को शहीद हो गए । भारत सरकार ने उनके अदम्य साहस के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया था। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उनके पिता गिरिधारी लाल बत्रा ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से एक्सक्लूसिव बात की है। पेश है इंटरव्यू के प्रमुख अंश


सवाल-कैप्टन विक्रम बत्रा पर फिल्म आई है, इस कदम को आपको कैसे देखते हैं ?

जवाब- किसी भी शहीद पर जब भी कोई फिल्म बनती है, तो वह स्थायी दस्तावेज बन जाती है। हमें यह बात भी समझनी चाहिए कि सेना के जवान  देश भक्ति का जो जज्बा दिखाते हैं, जैसे कैप्टन विक्रम बत्रा उसी जज्बे के साथ शहीद हो गए। यह वही जज्बा है जो आजादी के पहले भगत सिंह , चंद्रशेखर आजाद के अंदर था। वतन परस्ती का यह ऐसा उदाहरण है जिसमें इंसान अपनी जान की परवाह नहीं करता है। फिल्में बनने से न केवल यह हमारे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी बल्कि सरहदों पर बैठे जवानों को भी प्रेरणा देती रहेगी। मेरा मानना है कि ऐसे महानायकों पर और भी फिल्में बननी चाहिए। ऐसी फिल्में समाज को बहुत अच्छा संदेश देती हैं।

Giridhari lal batra

सवाल-कई बार बॉयोपिक तोड़-मरोड़ कर पेश कर दी जाती है, आपने फिल्म देखी होगी, ऐसी कोई कमी है क्या ?

जवाब- हमने अपने  परिवार के साथ फिल्म देखी है। और इस फिल्म में कैप्टन विक्रम बत्रा के हर पहलू को दिखाने की कोशिश की गई है। इसमें उनके बचपन के दौर के साथ कॉलेज के दौर को भी दर्शाया गया है। जिसमें उनका प्यार भी बहुत खूबसूरती से दिखाया गया है। आप उनके प्यार की ऊंचाई को देखिए कि उनकी प्रेमिका ने विक्रम बत्रा के शहीद होने के बाद , आज तक शादी नहीं की है। उन्होंने फैसला किया वह विक्रम बत्रा की यादों में अपना जीवन बिताएंगी। फिल्म में इसके बाद युद्द के समय की घटनाओं को भी बखूबी दिखाया गया है। जंग के मैदान में जिस तरह विक्रम बत्रा ने शौर्य का प्रदर्शन किया था, वह अपने आप में अदम्य था। और यह सब फिल्म में दिखाया गया है। हम सब फिल्म देखकर काफी भावुक हो गए थे। काफी अच्छे से फिल्म बनाई गई है और सबकी मेहनत दिखती है।

सवाल- विक्रम बत्रा का ये दिल मांगे मोर स्लोगन सिग्नेचर साइन बन गया है, आप कुछ यादें साझें करना चाहेंगे

जवाब- उनके अंदर किसी भी बात का डर नहीं था। उनका केवल एक ही लक्ष्य था कि हर हालत में जीत हासिल करनी है और दुश्मनों से धरती माता को छुड़ाना है। 5140 की चोटी रणनीतिक रूप से बहुत महत्व रखती थी। ऐसे में उसे जीतना बहुत जरूरी था। उस चोटी को उन्होंने फतह किया और जज्बा देखिए कि दुश्मन के 7 सैनिकों को ढेर करने के बाद , उन्होंने बंकर भी नष्ट किया। एक एंटी एयर क्रॉफ्ट गन को भी कब्जे में लिया। इतना कुछ करने के बाद भी उनका कहना था कि ये दिल मांगे मोर। उनके कमांडर ने उनसे पूछा कि अरे विक्की यह स्लोगन तुम क्यों रख रहे हो, तो उन्होंने कहा कि मैं दुश्मनों को पूरी तरह से खदेड़ना चाहता हूं। हालांकि ये स्लोगन एक कंपनी का स्लोगन था लेकिन आप यह समझ सकते हैं कि किस प्रकार उन्होंने स्लोगन के अर्थ को ही बदल दिया। आज वह हर भारतीय के दिल में बस चुका है। इसी तरह एक पाकिस्तानी कमांडो उनसे कहता है कि शेरशाह (विक्रम बत्रा का कोड नाम) तुम क्यों आ गए, तुम वापस नहीं जा पाओगे। एक ने तो मजाक में बोला माधुरी दीक्षित हमें दे दो , वापस चले जाएंगे। और उन्होंने उसे मार कर कहा कि ये लो माधुरी दीक्षित की तरफ से तुम्हे तोहफा।

सवाल-हाल ही में चीन ने भारत की सीमा पर गुस्ताखी की, आप इसे किस तरह से देखते हैं ?

जवाब- देखिए करगिल में पाकिस्तान ने हमारे साथ तो धोखा किया था। वह समझौते के विरुद्ध बंकरों पर कब्जा कर लिए थे। इस युद्ध में 527 जवान शहीद हुए थे। पाकिस्तान का इतिहास देखकर तो यही लगता है कि वह सुधरने वाला नहीं है। जहां तक चीन की बात है तो वह भी कुछ कम नहीं है। वह भी पाकिस्तान जैसा ही खतरनाक है। लेकिन अब पहले जैसी बात नहीं है। सरकार काफी सचेत हो गई है। सरकार ने उसे मुहतोड़ जवाब दिया है। हमारी फौज दुनिया की जानी-मानी सेना है। इस बात का चीन को अहसास हो गया होगा।

सवाल- नई पीढ़ी का सेना के प्रति रूझान कम हुआ है, उसे आपका क्या संदेश देना चाहेंगे ?

जवाब-आज की युवा पीढ़ी काफी ऐशो-आराम में रहना चाहती है। ऐसे में उसे बहुराष्ट्रीय कंपनी ज्वाइन करने और विदेश जाने में ज्यादा रूचि है। यह खेदजनक है। मैंने हमेशा यह बात कही है कि केवल पैसों के पीछे मत भागिए। हमें अपने समाज, संस्कृति और देश के लिए जरूर कुछ करना चाहिए। इसके तहत देश को न केवल आगे बढ़ाना है बल्कि उसकी रक्षा भी करनी है। विक्रम बत्रा का भी मर्चेंट नेवी में चयन हुआ था। लेकिन उन्होंने सेना को चुना। वह चाहते तो ऊंची सैलरी वाली नौकरी कर सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं किया।  मैंने पुराने अफसर देखे हैं जिन्होंने आईआईटी की हुई थी। लेकिन फिर भी सेना में शामिल हुए। अब तो जवानों को अच्छा वेतन से लेकर सुख-सुविधाएं और अत्याधुनिक उपकरण भी मिल रहे हैं। ऐसे में उन्हें सेना में शामिल होने से परहेज नहीं करन चाहिए।

Vikram batra family with sershah star cast

सवाल- विक्रम बत्रा को शहीद हुए 20 साल से ज्यादा वक्त हो चुका है, ऐसे में आपको और परिवार को कैसा लगता है ?

देखिए हमें उन्हें याद तो करते ही है। लेकिन हमेशा यही लगता है कि वह हमारे साथ हैं। वह भले ही शरीर के रुप में हमारे साथ नहीं हैं लेकिन मन से वह हमारे साथ हैं। वह हमारे साथ हर पल रहते हैं। इस बात का हमें गर्व है कि ऐसी महान संतान और शुद्ध आत्मा ने हमारे परिवार में जन्म लिया। हम यह भी महसूस करते हैं कि उनकी वजह से हमारा स्तर हर तरह से बढ़ा है। हम यह मानते हैं कि उन्होंने हमारे मानवीय जीवन को सार्थक कर दिया है। 

उनकी माता जी और परिवार के दूसरे लोग  हमेशा  सोचते हैं कि अगर आज वह होते ते उनकी शादी हो गई होती और उनके बच्चे भी होते। यह कमी तो खलती है। आज भी वह पल यादा आता है, जब उनका शव पालमपुर पहुंचा था तो आप समझ सकते हैं कि एक जवान  बेटे का जाना मां-बाप के लिए कैसा होता है। लेकिन हम दो-तीन बाद उस सदमे से उबर गए थे। क्योंकि हम समझ गए थे कि महान चीजें हासिल करने के लिए महान बलिदान भी देने पड़ते हैं। हमने कभी यह नहीं सोचा कि हमारा बेटा क्यों शहीद हुआ ? क्योंकि यह काम किस न किसी को तो करना ही था। तो हम दूसरे के लिए ऐसा क्यों सोचे। हमें  उन पर गर्व है। हम दुआ करते हैं कि अगले जन्म में भी ऐसी ही संतान मिले।

सवाल- कोई ऐसी इच्छा जो आप चाहते हैं कि वह पूरा हो ?

जवाब- देखिए मेरी एक ही इच्छा है कि कारगिल युद्द का इतिहास लिखा जाय। क्योंकि यह दुनिया की सबसे कठिन लड़ाई थी और भारतीय जवानों ने अदम्य साहस दिखाया था। उनकी वीरगाथाओं को इतिहास में दर्ज होना चाहिए। यही मेरी इच्छा है।


 

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