नई दिल्ली: अयोध्या की तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास को धर्मदंड के साथ ताजमहल में प्रवेश से रोकने का मामला तूल पकड़ रहा है, इस मामले को लेकर बुधवार को पूरे दिन हिंदूवादी संगठनों ने हंगामा और विरोध प्रदर्शन आदि किया। वहीं अयोध्या लौटे महंत परमहंस दास ने धर्मदंड की जगह भगवा वस्त्र पहनकर जाने पर ताजमहल में प्रवेश से रोकने का आरोप लगाया और 5 मई को अपने अनुयायियों के साथ दोबारा ताजमहल में प्रवेश करने का एलान किया।
तपस्वी छावनी के महंत जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने ताज में ब्रह्मदंड के साथ प्रवेश न मिलने पर बुधवार को नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि भगवा वस्त्र और धर्म दंड के वजह से ताजमहल में उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया गया।
गौर हो कि आगरा में अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें ताजमहल के अंदर जाने से रोक दिया। जगद्गुरु परमहंस अपने तीन शिष्यों के साथ ताज का दीदार करने पहुंचे थे। लेकिन उन्हें ताज के दीदार नहीं करने दिया गया। पुलिस पर उन्होंने आरोप लगाया कि भगवा कपड़ा पहने होने की वजह से उन्हें अंदर नहीं घुसने दिया गया। ताजमहल में एंट्री को लेकर उन्होंने वहां मौजूद पुलिसवालों को अपना टिकट भी दिखाया इसके बाद भी उन्हें एंट्री नहीं मिली।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद आर के पटेल बुधवार सुबह जांच के लिए ताजमहल पहुंच गए। उन्होंने ताजमहल पश्चिमी गेट से लेकर सुरक्षा जांच कतार तक के क्षेत्र में सीसीटीवी फुटेज की जांच की। उन्होंने कहा, 'दिनांक 26 अप्रैल को 5.35 बजे शाम को कुछ लोग भगवा वस्त्र में वेस्ट गेट पर आए उनमें से एक साधु के हाथ में दंड था। ताजमहल परिसर में इस प्रकार की वस्तु ले जाना प्रतिबंध हैं। वेस्ट गेट पर इंस्पेक्टर द्वारा साधु को दंड लाकर में या बाहर रखकर आने के लिए बताया जिसको सुनकर बाहह गेट से चले गए और वापस नही आए। 27 अप्रैल को सुरक्षा से ट्वीट प्राप्त हुआ तब पता चला की उक्त साधु जगद्गुरु परम हंस आचार्य जी थे और ट्वीट मंहत धर्मेंद्र गिरी द्वारा किया गया है मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए।' वहीं बताते हैं कि संतों के अपमान पर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनसे क्षमा भी मांगी है अब मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के पास से कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है।
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