JDU-BJP rift in Bihar: बिहार में सियासी बवाल के बीच जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गठबंधन टूट जाएगा? यह तो फिलहाल साफ नहीं हो पाया है, मगर सूबे में तेज हुई सियासी हलचलों के बीच और मंगलवार (नौ अगस्त, 2022) को होने वाली बैठकों के दौर से ऐन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक ट्वीट आया। उन्होंने हजरत इमाम हुसैन को याद करते हुए लिखा- अपील करता हूं कि सभी उनकी कुर्बानियां याद करें और उनके आदर्श अपने-अपने जीवन में अपनाएं।
उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट टि्वटर पर सुबह लिखा, "मुहर्रम के अवसर पर कर्बला के शहीदों एवं हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को नमन। राज्यवासियों से अपील है कि हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को याद करते हुए उनके आदर्शों को अपनाएं।"
बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम का होता है। मुहर्रम के 10वें दिन को आशुरा का दिन कहा जाता है। इसी दिन करबला की लड़ाई में इमाम हुसैन और उनके साथी शहीद हुए थे। इस वजह से मुहर्रम का पूरा महीना गम का महीना माना जाता है।
इस बीच, प्रदेश की ताजा राजनीतिक स्थिति पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि वह अभी कुछ नहीं बोलेंगे, जबकि कांग्रेस की ओर से नेता भक्त चरण दास बोले, "जिस चीज में राज्य का भला है, हम उसके साथ है।
दरअसल, राज्य में फिलहाल सबकी निगाहें अब सीएम के जदयू और मुख्य विपक्षी पार्टी राजद की ओर से अपने-अपने विधायकों की बुलाई गई बैठकों पर है, जिससे राज्य में सियासी बदलाव की अटकलें तेज हो चली हैं। सोमवार (आठ अगस्त, 2022) देर शाम तक व्यस्त राजनीतिक गहमागहमी जारी रही और दोनों पार्टियों में इससे अवगत लोगों ने जोर देकर कहा कि इन दलों का पुनर्मिलन बैठकों के एजेंडे का हिस्सा नहीं है।
नीतीश के विश्वासपात्र माने जाने वाले राज्य के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा था, ‘‘मुझे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में संकट नहीं दिख रहा। सीएम ने अपना जनता दरबार कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें भाजपा के कई मंत्री मौजूद थे। जदयू विधायकों की बैठक एक वरिष्ठ नेता के पार्टी से बाहर निकलने के नतीजों पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई है।’’
बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और फिलहाल राज्य मंत्रिमंडल में संसदीय मामलों का विभाग संभालने वाले चौधरी ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘सीनियर नेता ने पार्टी में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान कई सदस्यों के साथ संबंध बनाए होंगे। अब जबकि उनसे स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया है तो यह जानने की जरूरत महसूस की जा रही है कि अन्य वरिष्ठ नेता इस प्रकरण को कैसे देखते हैं। कल की बैठक उन्हें इसके लिए एक अवसर प्रदान करेगी।’’ आरसीपी सिंह लगभग तीन दशक तक नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी रहे हैं।
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