नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व नेता जितिन प्रसाद ने भारतीय जनता पार्टी (BJP)में शामिल होने के अपने फैसले का बचाव करते हुए अपने पूर्व सहयोगी कपिल सिब्बल पर निशाना साधा है। जितिन बुधवार को भाजपा में शामिल हुए। इसके बाद कपिल सिब्बल ने उनके भाजपा में शामिल होने को 'प्रसाद की राजनीति' बताया। कांग्रेस नेता ने कहा कि 'लोग विचारधारा से ज्यादा अपने हित को तरजीह' दे रहे हैं। जितिन ने कांग्रेस की विचारधारा पर सवाल उठाए हैं।
प्रसाद ने पूछा-कांग्रेस की विचारधारा कहां चली गई
एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में जितिन प्रसाद ने कहा, 'कपिल सिब्बल वरिष्ठ नेता हैं। एक ही विचारधारा है वह राष्ट्रीय हित है। कांग्रेस ने जब शिवसेना के साथ गठबंधन किया तो उसकी विचारधारा को क्या हो गया था? बंगाल में वह लेफ्ट के साथ गई, उस समय उसकी विचारधारा कहां थी। इसी समय वह केरल में लेफ्ट के खिलाफ लड़ रही थी। मेरे जैसे छोटे व्यक्ति के बारे में बयान देने से कांग्रेस की किस्मत नहीं बदल जाएगी।'
जी-23 समूह का हिस्सा रहे हैं जितिन प्रसाद
इससे पहले सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के जितिन प्रसाद के फैसले की आलोचना की। कांग्रेस नेता ने कहा कि पत्र लिखने वाले नेताओं ने जो मुद्दे उठाए थे, अगर उन पर नेतृत्व की प्रतिक्रिया से अप्रसन्न होकर जितिन प्रसाद पार्टी से अलग होते तो यह उनका निजी मामला था, लेकिन वह भाजपा में क्यों गए? उन्होंने कहा, ‘भला ‘प्रसाद की राजनीति’ के अलावा उनके इस कदम का क्या ठोस आधार हो सकता है....हम देश भर में ऐसा होता देख रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘जब तक हम कांग्रेस में हैं और कांग्रेस की विचारधारा को अपनाए हुए हैं तब तक हम 22 नेता (जी 23 के) और कई दूसरे भी कांग्रेस को मजबूत करने के लिए मुद्दे उठाते रहेंगे।’
मैं कभी भाजपा में नहीं जाऊंगा-सिब्बल
उन्होंने यह भी कहा, ‘अगर किसी मोड़ पर वे (नेतृत्व) मुझसे कहते हैं कि अब मेरी जरूरत नहीं है, तब मैं फैसला करूंगा कि मुझे क्या करना है। लेकिन कभी भाजपा में नहीं जाऊंगा...यह मेरी लाश पर ही होगा।’ बता दें कि सिब्बल और जितिन 'ग्रुप-23' का हिस्सा हैं। इस समूह ने पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर नेतृत्व सहित कई मामलों में सुधार करने की मांग की।
जितिन ने कहा-काफी सोच विचारकर भाजपा में शामिल हुआ
जितिन ने भाजपा को राष्ट्रीय पार्टी बताते हुए कहा कि जो कोई भी इस पार्टी से जुड़ता है उसका लंबे समय के लिए एक लक्ष्य होता है। जितिन ने कहा है कि उन्होंने काफी सोच-समझकर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ सालों से एक नेता एवं लोगों की मदद करने में मेरी भूमिका कमजोर हो रही थी। मैं लोगों के लिए काम नहीं कर पा रहा था।'
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