Kaali Poster Row: फिल्म काली से जुड़े पोस्टर विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देवी का देश पर आशीर्वाद है, जबकि उन्हीं की चेतना से आगे बढ़ने का रास्ता मिलेगा। उन्होंने रविवार (10 जुलाई, 2022) को ये बातें स्वामी आत्मस्थानंद के शताब्दी समारोह से जुड़े अपने एक संबोधन के दौरान कहीं।
उनके मुताबिक, "आज पूरी दुनिया सतत जीवन शैली की बात कर रही है, शुद्ध जीवन शैली की बात कर रही है, यह एक क्षेत्र है जिधर भारत के पास हजारों सालों का ज्ञान और अनुभव है। हमने सदियों तक इस दिशा में विश्व का नेतृत्व किया है।"
बकौल पीएम, "स्वामी रामकृष्ण परमहंस, एक ऐसे संत थे जिन्होंने मां काली का स्पष्ट साक्षात्कार किया था। उन्होंने मां के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था। वो कहते थे- ये सम्पूर्ण जगत, ये चर-अचर, सब कुछ मां की चेतना से व्याप्त है। यही चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है। यही चेतना बंगाल और पूरे भारत की आस्था में दिखती है।" देखें, पीएम ने और क्या कहाः
पीएम मोदी के इस बयान के बाद बीजेपी ने टीएमसी को घेरा। पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने बताया कि पूरे देश ने देखा कि महुआ ने किस प्रकार मां का अपमान किया था। पर उनके खिलाफ कार्रवाई कब होगी। वह अन्य धार्मिक मसलों पर तो एक्शन की बात उठाते हैं, पर इस मामले में अपनी सांसद पर दोहरा मापदंड क्यों?
क्या है पूरा विवाद?
दरअसल, फिल्ममेकर लीना मणिमेकलाई की डॉक्यूमेंट्री 'काली' का एक पोस्टर कुछ रोज पहले खूब वायरल हुआ था, जो कि हाल में राष्ट्रीय मुद्दा भी बना। उस पोस्टर में मां का किरदार निभाने वाली कलाकार को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया था, जिसके बाद हिंदूवादी संगठनों ने इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान करार दिया था। हालांकि, बाद में पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मसले पर एक बयान दिया, जिसके बाद यह मामला और भी गर्मा गया था। आलम यह था कि उनके खिलाफ कई शहरों में एफआईआर दर्ज हुई थीं।"
प्राकृतिक खेती पर यह है केंद्र की योजना, PM ने बताया प्लान
पीएम ने इसके अलावा नेचुरल फार्मिंग कॉन्क्लेव (Natural Farming Conclave) के दौरान कहा- प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए आज देश में गंगा के किनारे अलग से अभियान चलाया जा रहा है। कॉरिडोर बनाया जा रहा है। प्राकृतिक खेती की उपजों की बाजार में अलग से मांग होती है और उसकी कीमत भी ज़्यादा मिलती है। इस योजना के तहत 30,000 कल्सटर बनाए गए हैं। देश की करीब 10 लाख हेक्टेयर ज़मीन कवर की जाएगी। हमने प्राकृतिक खेती के सांस्कृतिक, सामाजिक और इकोलॉजी से जुड़े प्रभावों को देखते हुए इसे नमामी गंगे परियोजना से भी जोड़ा है।
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