कोरोना महामारी की दूसरी लहर का सामना पूरा देश कर रहा है। 2020 में कोरोना के आतंक की जो तस्वीरें आईं वो भयावह थीं। लेकिन इस दफा कोरोना का खतरा उससे भी कई गुना ज्यादा जिसकी गवाही आंकड़े खुद ब खुद रहे हैं। इन सबके बीच एक साल की किट्टी के उस दर्द को समझिए जो बोल तो नहीं सकती। लेकिन उसके हाव-भाव से सबकुछ समझा जा सकता है कि अबोध बच्चे भी उस भय और चिंता को समझ रहे हैं जिसे हम सब शब्दों के जरिए अपनी व्यथा की गाथा गाते रहते हैं।
कुछ कहती है एक साल की किट्टी
1 मार्च 2020 को किट्टी ने आंखें खोली। उसको क्या पता था कि वो एक ऐसे माहौल की साक्षी बनेगी जो भय के चद्दर से लिपटा हुआ है। लेकिन वो सच था। मार्च 2020 से कोरोना का वायरस अपने आपको विकराल रूप में पेश कर रहा था। उस वायरस को मात देने के लिए देश भर में तालाबंदी का ऐलान हुआ। किट्टी की आंखे जो अपने अगल बगल के लोगों को सामान्य तौर पर देख सकती थी, उनके चेहरे पर मास्क का आवरण था। देश लॉक था, हालांकि वो समझ नहीं सकती थी यह सब क्या हो रहा है। धीरे धीरे समय का चक्र चलता रहा। एक साल बीते उम्मीद थी कि कोरोना का वायरस भारत से विदाई ले चुका है। लेकिन वो तो पहले से भी अधिक खतरनाक साबित हुआ। किट्टी अब भी कुछ शब्द ही बोल पाती है। लेकिन हर एक चेहरे पर मास्क को देखकर समझती है कि माहौल ठीक नहीं है।
तीसरे चरण के लिए तैयारी जरूरी
जानकार कह रहे हैं कि कोरोना की तीसरी लहर सितंबर के बाद दस्तक दे सकती है और यह बच्चों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन के बफर स्टॉक की आवश्यकता का अवलोकन किया। जजों ने कहा कि कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए तैयारी करने की जरूरत है। बच्चों के प्रभावित होने की खबरें हैं। हमें जल्द से जल्द ऑक्सीजन का बफर स्टॉक बनाने की आवश्यकता है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम चरण तीन में प्रवेश कर सकते हैं और यदि हम आज तैयारी करते हैं, तो इसे संभालने में सक्षम हो सकते हैं।
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