नई दिल्ली। दो साल पहले उन्नाव के माखी विधानसभा से बीजेपी के टिकट पर कुलदीप सिंह सेंगर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। माननीय विधायक जी के उजले कपड़ों पर दाग तब लगा जब उनके ही गांव की रहने वाली लड़की ने आरोप लगाया कि विधायक जी के कपड़े जितने सफेद है उनकी करतूत उतनी ही काली है। विधायक कुलदीप सेंगर ने उसका शारीरिक शोषण किया। वो न्याय की गुहार में दर बदर भटकती रही। लेकिन रसूखदार विधायक की शख्सियत इतनी बड़ी थी कि उसकी अपील नक्कारखानें तूती की आवाज की तरह हो गई।
अपनों को खोया जरूर लेकिन न्याय मिला
इंसाफ की लड़ाई में उस पीड़िता ने अपने पिता को खो दिया. अपने कुछ रिश्तेदारों को भी खो दिया। वो खुद काल के गाल से निकली। लेकिन उसका गुनहगार अब अदालत से दोषी करार दिया जा चुका है। विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को तीस हजारी कोर्ट ने दोषी करार दिया है। उसे 19 दिसंबर को सजा सुनाई जाएगी। मामला शायद इतना लंबा न चला होता यदि आरोपी माननीय न रहा होता। लेकिन कहा जाता है कि अगर कोई भी शख्स शिद्दत के साथ अपनी लड़ाई जारी रखे तो उसे न्याय जरूर मिलता है।
2017 से 2019 की लड़ाई में कुलदीप सेंगर का ऐसा था रसूख
2017 में अखिलेश यादव सरकार की यूपी की सत्ता से विदाई हो चुकी थी और योगी आदित्यनाथ सरकार में थे। वो महिलाओं की सुरक्षा के बड़े बड़े वादे कर रहे थे। लेकिन शायद उन्हें यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि लखनऊ से महज 80 किमी दूर उन्नाव में एक ऐसी काली कहानी की पटकथा लिखी जा चुकी थी जिसका विलेन और कोई नहीं बीजेपी का विधायक होगा। बीजेपी विधायक रहे कुलदीप सेंगर की करतूतों से पीड़िता सिसकती रही और जब उसकी स्थानीय थाने में किसी तरह की कार्यवाही नहीं हुई तो वो बड़े दरबार में पहुंची। इस बीच कुलदीप सिंह सेंगर का मामला मीडिया में आया वो विपक्ष के निशाने पर आया और काफी जद्दोजहद के बाद बीजेपी ने कुलदीप सेंगर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया।
कुलदीप सेंगर कानून की नजर में अब दोषी
कुलदीप सिंह सेंगर अब बीजेपी विधायक से सिर्फ विधायक रह गए। लेकिन पीड़ित परिवार उनके निशाने पर बना रहा। पीड़िता के पिता जब धमकी की शिकायत लेकर खाकी वर्दी वालों के पास पहुंचे तो उनके साथ बदसलूकी गई। बताया जाता है कि स्थानीय थानें मे उनके साथ मारपीट की गई जिसमें उनके प्राण पखेरू उड़ गए। ये बात अलग है कि उस वक्त सीतापुर जेल में बंद कुलदीप सेंगर अदालती कार्रवाई के बाद भी व्यवस्था का माखौल उड़ाता रहा।
समय का चक्र चलता रहा लेकिन कुलदीप सेंगर पर एक बार फिर आरोप लगा कि उसने पीड़िता और उसके रिश्तेदारों को रायबरेली में मरवाने की कोशिश की। उस घटना में पीड़िता के दो रिश्तेदार मारे गए थे। इस कांड की दिलचस्प कहानी ये थी कि पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे रंजन गोगोई को खत भी लिखा था लेकिन रजिस्ट्री ने उस खत को दबाए रखा। रंजन गोगोई को जब जानकारी मिली तो वो नाराज हुए और अदालत ने मामले में खुद संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया और तय समय में कार्रवाई पूरी करने पर जोर दिया। तय समय में सीबीआई की तारीफ से चार्जशीट दायर की गई जिसमें पीड़िता को नाबालिग माना गया और अब उस केस में कुलदीप सेंगर दोषी हैं।
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