संसद के दोनों सदनों में इस वक्त रोज हंगामा हो रहा है। राज्यसभा में 12 सांसदों का निलंबन और गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी का मुद्दा है तो लोकसभा में भी अजय मिश्रा टेनी का मुद्दा छाया हुआ है। कांग्रेस का कहना है कि जिस शख्स का बेटा हत्या का आरोपी है वो बेहद ताकतवर है और पद में रहते हुए न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती। अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे को लेकर संसद से विपक्षी नेता मार्च पर निकले तो पत्रकारों ने राहुल गांधी से लिंचिंग वाले बयान पर सवाल पूछ लिया और वो भड़क गए।
लिंचिंग वाले सवाल पर राहुल गांधी भड़के
राहुल गांधी ने सवाल पूछने वाले पत्रकार से कहा कि सरकार की दलाली मत करो। लेकिन सवाल यह है कि अगर मीडिया के ऊपर लखीमपुर खीरी में अजय मिश्रा टेनी ने भड़ास निकाली तो क्या वो गलत था। राहुल गांधी ने ट्वीट में बताया कि 2014 से लिंचिंग शब्द सुनने को नहीं मिलता था। लेकिन 2014 के बाद तस्वीर बदल गई। इस सवाल पर मीडिया की तरफ से कुछ तीखे सवाल किये गए तो वो जवाब देने की जगह भड़क गए।
लखीमपुर खीरी में भड़क उठे थे अजय मिश्रा टेनी
कुछ इसी तरह जब लखीमपुर खीरी में एसआईटी रिपोर्ट के बारे में अजय मिश्रा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि तुम पत्रकारों की वजह से ही एक निर्दोष सलाखों के पीछे हैं इसके साथ ही उन्होंने गालियां दी और मारने तक पहुंच गए। इसी मुद्दे पर कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल सदन नहीं चलने दे रहे हैं। अब सवाल यही है कि इस तरह के मुद्दे पर कांग्रेस दोहरा मानदंड क्यों अपना रही है।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि यह सत्ता और नेताओं का कैरेक्टर हैं। वो उन्हीं सवालों का जवाब देना चाहते हैं जिसमें उन्हें सहूलियत होती है। यही नहीं नेता यह मानकर चलते हैं कि उन्होंने जो किया या वो जो करते हैं वो लोगों की आकांक्षा है और उस चद्दर में खुद को लपेट कर सवालों का जवाब देने से बचते हैं और यह प्रवृत्ति किसी खास दल तक सीमित नहीं है, अगर नेता सत्ता पक्ष से है तो हो हल्ला मचाने के लिए बहुत सी वजह होती है क्योंकि वो प्रशासनिक मशीनरी का बेजा इस्तेमाल कर सकता है। लेकिन विपक्षी नेता के पास वही रक्षा कवच उपलब्ध नहीं होता।
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