नई दिल्ली : सोमवार का दिन प्राकृतिक आपदा के लिहाज से देश पर भारी रहा। हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर में बादल फटने एवं भूस्खलन की घटनाओं से जहां जनजीवन पटरी से उतरा वहीं, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में आकाशीय बिजली गिरने से कम से कम 71 लोगों की जान चली गई। यह प्राकृतिक आपदा हर साल बड़ी संख्या में लोगों की जान लेती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े के मुताबिक प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली करीब 35.3 प्रतिशत मौतें आकाशीय बिजली गिरने से होती हैं। आकाशीय बिजली पर भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 के बीच देश में आकाशीय बिजली से 1,619 लोगों की जान गई।
क्या होती है आकाशीय बिजली
आसान शब्दों में समझें तो बादलों के बीच पैदा हुई विद्युत की तड़ित जब नीचे धरती पर गिरती है तो उसे आकाशीय बिजली का गिरना कहते हैं। ये आकाशीय बिजली तूफानी बादलों में विद्युत आवेश से पैदा होती है। इसके पैदा होने पर तेज आवाज होती है और इसमें प्रकाश होता है। आकाशीय बिजली तीन प्रकार की होती है-बादलों में पैदा होने वाली बिजली, बादल से बाहर की बिजली और बादलों से जमीन पर गिरने वाली बिजली। बादलों से नीचे गिरने वाली आकाशीय बिजली से मनुष्यों एवं जीव-जंतुओं की जान जाती है। इससे संपत्तियों को नुकसान भी पहुंचता है।
मानसून के समय किसान खेतों में होते हैं
दरअसल, मानसून के आने के समय या इससे पहले किसान कृषि कार्यों के लिए खेतों और बगीचों में होते हैं। इस दौरान बिजली गिरने से लोगों की ज्यादा मौत होती है। बारिश से बचने की कोशिश में लोग पेड़ की आट लेते हैं, इस दौरान वे चपेट में आते हैं। रिपोर्टों में कहा गया है कि आकाशीय बिजली गिरने के दौरान असावधानी बरतने की वजह से लोगों को बड़ी संख्या में अपनी जान गंवानी पड़ती है। रिपोर्टों के अनुसार यह पाया गया है कि आकाशीय बिजली गिरने से 70 प्रतिशत मौतें उन लोगों की हुईं जो पेड़ के नीचे खड़े थे जबकि करीब 25 फीसदी लोग खुले मैदान में थे।
देश में बिजली गिरनी की घटनाएं बढ़ीं
सरकार की वार्षिक आकाशीय बिजली रिपोर्ट 2020-2021 के मुताबिक देश में आकाशीय बिजली की घटनाओं में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बीते समय में बिजली गिरने की सबसे ज्यादा घटनाएं ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और झारखंड में हुई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019-2020 में देश में आकाशीय बिजली गिरने की 138, 00,000 घटनाएं हुईं जबकि 2020-2021 में यह संख्या बढ़कर 185,44,367 हो गई।
आकाशी बिजली एक्शन प्लान की जरूरत
सीआरओपीसी-आईएमडी की रिपोर्ट कहती है कि राज्यों में अलग-अलग समय पर बिजली गिरनी घटनाएं होती हैं। मानसून से पहले गिरने वाली आकाशीय बिजली से बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में ज्यादा मौतें होती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि किसानों, मवेशी चराने वाले लोगों, बच्चों, खुले में काम करने वाले लोगों को आकाशीय बिजली के बारे में यदि जागरूक किया जाए तो इससे जान एवं माल का नुकसान कम हो सकता है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर आकाशी बिजली एक्शन प्लान और बिजली गिरने का अनुमान जताने वाले उपकरण लगाकर इस त्रासदी को कम किया जा सकता है।
पनामा में सबसे ज्यादा गिरी बिजली
स्थिथसोनियन ट्रॉपिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसटीआरआई) की रिपोर्ट के मुताबिक पनामा में आकाशीय बिजली गिरने की सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं हैं। यहां एक साल में बिजली गिरनी की 10 करोड़ से ज्यादा घटना हुई हैं। इसके अलावा अफ्रीकी देशों में यह प्राकृतिक विपदा ज्यादा आती है। इसके बाद एशिया, दक्षिण अमेरिका, उत्तर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में बिजली गिरनी की घटनाएं होती हैं।
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