नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच के आदेश के खिलाफ ममता सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल, कलकत्ता हाई कोर्ट ने चुनाव बाद राज्य में हुए सभी तरह के कथित मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को एक समिति गठित करने के लिए कहा है। जबकि ममता सरकार ने हाई कोर्ट से अपना फैसला वापस लेने का अनुरोध किया है।
पांच जजों की पीठ करेगी सुनवाई
राज्य सरकार की अर्जी पर हाई कोर्ट आज सुनवाई करने वाला है। यह मामला सुनवाई के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, राजेश जिंदल, जस्टिस इंद्र प्रसन्ना मुखर्जी, जस्टिस सौमेन सेन, जस्टिस हरीश टंडन एवं जस्टिस सुब्रता तालुकदार की पीठ के समक्ष आ सकता है। पांच जजों की इसी पीठ ने चुनाव बाद हिंसा की जांच से जुड़ी पीआईएल पर अपना आदेश जारी किया है।
कोर्ट ने राज्य सरकार की खिंचाई की
गत शुक्रवार को अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने चुनाव बाद हिंसा पर रोक लगाने के लिए कदम न उठाने पर राज्य सरकार की खिंचाई की। कोर्ट ने एनएचआरसी को आदेश दिया कि वह एक समिति का गठन करे जो हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी। अदालत ने आयोग को 30 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
अर्जी में राजनीतिक हमलों का आऱोप
जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि राजनीतिक हमलों की वजह से लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा, उनके साथ मारपीट की गई, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और कार्यालयों में लूटपाट की गई। बता दें कि 2 मई को बंगाल में चुनाव नतीजे आने के बाद राज्य के कई इलाकों में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले की घटनाएं हुईं। भाजपा का आरोप है कि भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले के पीछे टीएमसी नेताओं का हाथ है। जबकि टीएमसी ने इससे इंकार किया है। समझा जाता है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी हिंसा पर अपनी रिपोर्ट गृह मंत्री अमित शाह को सौंपी है।
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