नई दिल्ली। देश भर में अब तक कोरोना के कुल 3500 मामले सामने आए हैं। सबसे बड़ी बात है कि हर 4.1 दिन में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या दूनी हो जा रही है। सवाल यह है कि जब 24 मार्च से 27 मार्च के बीच कोरोना के मामलों की रफ्तार धीमी गति से आगे बढ़ रही थी तो उसमें एकाएक तेजी क्यों आ गई। इस सवाल का जवाब साफ है, दिल्ली में तब्लीगी जमात के एक शख्स की जिद ने पूरे देश को उस तरफ ढकेल दिया जो हर दिन बढ़े हुए आंकड़ों के रूप में नजर आ रही है।
मौलाना साद को दी गई थी सलाह
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना साद को कई बुद्धिजीवियों ने सलाह दी थी कि वो मरकज न बुलाएं। लेकिन उसने अनदेखी कर दी। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पहली नजर में साफ हो रहा है कि कोरोना के बढ़े हुए मामलों के लिए साद पूरी तरह जिम्मेदार है। अगर दिल्ली के आंकड़ों को देखें तो कोरोना संक्रमितों की संख्या 500 के पार चली गई और 1800 के टेस्ट का इंतजार किया जा रहा है।
जिद पर अड़े रहे साद
तब्लीगी जमात का एक दूसरा गुट शुरा-ए-जमात है और इसका हेड ऑफिस तुर्कमान गेट दिल्ली में है। बड़ी बात यह है कि जब कोरोना के मामले सामने आने लगे कतो इस गुट ने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया था। लेकिन मौलाना साद मरकज के लिए अड़े रहे। वो चाहते थे कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम पर पाबंदी लगाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने अपने प्रचार में यहां तक कह दिया कि मस्जिद में सबसे अच्छी मौत जैसा उपदेश भी दिया।
30 फीसद मामले जमात से जुड़े
सबसे बड़ी बात यह है कि जब तब्लीगी जमात के खिलाफ कार्रवाई तेज हुई तो मौलाना साद फरार हो गए। आखिर उनकी तरफ से बयान आया कि वो फरार नहीं हैं। लेकिन वो क्वारंटीन में है। अब तब्लीगी की तरफ से यह बयान दिया जा रहा है कि अगर पूरे मामले को देखें तो यह आंकड़ा 30 फीसद है, इसका अर्थ यह है कि 70 फीसद मामले दूसरी वजहों से जुड़े हुए हैं।
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