गर्मी, धूप से बेहाल, 14 घंटे का लंबा इंतजार, रायबरेली के लिए बस तो मिली, पर घर नहीं पहुंच पाए मजदूर

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Updated May 20, 2020 | 00:02 IST

Migrant Workers: गर्मी, धूप की तपिश के बीच 14 घंटों के इंतजार के बाद मजदूर सोनीपत से यूपी के रायबरेली में अपने घर जाने के लिए सवार हुए थे, पर वे अपने घर नहीं पहुंच पाए। उन्‍हें वापस सोनीपत में ही उतार दिया गया।

गर्मी, धूप से बेहाल, 14 घंटे का लंबा इंतजार, रायबरेली के लिए बस तो मिली, पर घर नहीं पहुंच पाए मजदूर
गर्मी, धूप से बेहाल, 14 घंटे का लंबा इंतजार, रायबरेली के लिए बस तो मिली, पर घर नहीं पहुंच पाए मजदूर  |  तस्वीर साभार: AP, File Image

नई दिल्ली/सोनीपत : हरियाणा के सोनीपत जिले में 14 घंटे तक इंतजार करने के बाद सैकड़ों प्रवासी श्रमिक उत्तर प्रदेश जाने के लिए बस पर सवार हुए, लेकिन घर पहुंचाने की जगह उन्हें शहर के ही एक आश्रय गृह के पास उतार दिया गया। दिल्ली हरियाणा सीमा पर कुंडली औद्योगिक क्षेत्र से सोमवार की शाम 7 बजकर 30 मिनट पर जो लोग हरियाणा सड़क परिवहन निगम की बस में जो सवार हुए उसमें कुलदीप कुमार और उनका परिवार भी था।

कुलदीप यह सोच कर प्रसन्न थे कि पूरे दिन के इंतजार के बाद अंतत: समय आ गया है और अब वह कल सुबह अपने घर होंगे, लेकिन वक्त उनके लिए चौंकाने वाला था। कुछ ही समय बाद उन्हें मायूसी हाथ लगी जब बस चलकर कुछ किलोमीटर की यात्रा के बाद सोनीपत के शंभु दयाल कॉलेज स्थित अस्थायी आश्रय गृह के पास रूक गई और 22 साल के कुलदीप, उनकी पत्नी आरती और दस महीने की बेटी दिव्यांशी को वहां उतरना पड़ा।

'सोचा था घर में रहूंगा, पर...'
कुलदीप ने फोन पर बताया, 'हमें नहीं पता कि क्या हो रहा है। मैंने सोचा कि अबतक मैं अपने घर पर रहूंगा। हमें कोई बता नहीं रहा है कि हमें कबतक यहां रहना होगा।' कुलदीप के साथ करीब 600 अन्य लोग हैं, जो कॉलेज में बने अस्थायी आश्रय गृह एवं आस पास के अन्य गृहों में हैं। सोमवार को घर लौटने वाले प्रवासियों की भारी भीड़ को संभालने वाले अधिकारियों ने कहा कि उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा था।

सोनीपत के उपसंभागीय मजिस्ट्रेट आशुतोष राजन ने कहा, 'कुछ बसें उत्तर प्रदेश के लिये रवाना हुईं। उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ निश्चित संख्या में ही बसों को प्रवेश की अनुमति दी है। लेकिन जितने लोगों को अनुमति मिली थी, उससे अधिक संख्या में लोग पहुंच गये। इसलिये इन लोगों (प्रवासी श्रमिकों) को आश्रय गृह में रखा गया है। कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में अपनी नौकरी गंवा चुके कुलदीप ने कहा कि जिले के सेरसा गांव स्थित अपने किराये के घर में वह वापस नहीं जा सकता है, क्योंकि उसके मकान मालिक ने उसे वापस नहीं आने के लिए कहा है, क्योंकि उसे इस बात का डर है कि वह कोरोना वायरस संक्रमण से संक्रमित हो जाएगा।

मिला था रायबरेली पहुंंचाने का आश्‍वासन
गांव के सरपंच ने यह घोषणा की थी कि जिन प्रवासी श्रमिकों का घर उत्तर प्रदेश में है, सरकार ने उनके घर जाने की व्यवस्था की है और कुलदीप उसकी बात में आ गया। इसलिए, रविवार को उसने अपने मकान मालिक का सारा बकाया चुकता कर दिया और सुबह पांच बजे उसने कुंडली औद्योगिक क्षेत्र जाने के लिये गांव छोड़कर पत्नी और बेटी के साथ प्रस्थान किया, जो कुछ ही दूरी पर स्थित है। उसकी तरह सैकड़ों लोग वहां थे। तेज एवं चिलचिलाती धूप में लम्बे समय तक इंतजार उन्हें इंतजार करना पड़ा। अंतत: शाम सात बजकर 30 मिनट पर जब वे बस में सवार हुए, तो उन्हें आश्वासन दिया गया कि उन्हें रायबरेली ले जाया जाएगा।

कुलदीप ने बताया कि उसके परिवार को कॉलेज में अन्य परिवारों के साथ एक कमरा आवंटित किया गया है। वहां छोटे बच्चों के लिये न तो कोई सुविधा है और न ही व्यवस्था है, न ही उसकी मासूम बच्ची के लिए दूध है। उसने बताया, 'गर्मी जबरदस्त है जिसके कारण हमें कमरे की खिड़की खोलनी पड़ी है, लेकिन उससे गर्म हवा आ रही है। दो परिवारों के बीच एक कमरे में एक छोटे पंखे से काम नहीं चल रहा और मेरी बेटी रोये जा रही है।'

'ढंग का खाना भी नहीं मिलता'
वहां रहने वाले अन्य लोगों ने भी कहा कि उन्हें इसी तरह की दिक्कतों का सामाना करना पड़ रहा है। कुलदीप के दोस्त एवं साथ काम करने वाले अजय कुमार भी इस आश्रय गृ​ह में फंस गए हैं, जिन्होंने खराब खाने की शिकायत की है। अजय ने बताया, 'हमलोगों को बेस्वाद खिचड़ी परोसी गई है, और जब हम इसे नहीं खा सकते हैं तो बच्चे कैसे खाएंगे।' अजय के साथ उसकी पत्नी विमलेश एवं सात महीने का बेटा सुशील भी है।

कुलदीप की तरह ही लॉकडाउन शुरू होते ही अजय की भी नौकरी चली गई है और वह भी राय बरेली स्थित अपने गांव जाने के लिए तैयार है। एक प्रवासी श्रमिक संदीप कुमार मिश्र (39) ने बताया कि उन्हें इस बात का कोई आभास ही नहीं था कि उन्हें आश्रय गृह लाया जा रहा है। उसने बताया कि आश्रय गृह के अधिकारियों को भी इस बात की जानकारी नहीं है कि उन्हें कब यहां से जाने की अनुमति दी जाएगी। संदीप ने आरोप लगाया, 'उन्होंने आश्रय गृह को बंद कर दिया है, बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं है और वहां तैनात अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है।'

'अध‍िक लोग मौके पर पहुंच गए'
सोनीपत जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय ने बताया कि केवल 30 बसों को ही उत्तर प्रदेश जाना था। प्रत्येक बस में केवल 30 लोगों को ही सवार होना था। संजय, श्रमिकों को वापस भेजे जाने के इस अभियान के संयोजक हैं। उन्होंने कहा कि केवल उन्हीं श्रमिकों को वापस जाने की अनुमति थी, जो राज्य सरकार के पोर्टल पर पंजीकृत थे। इसके अनुरूप उन्हें कॉल किया गया, लेकिन जो लोग पंजीकृत नहीं थे, वे भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने बताया कि 600 से 700 श्रमिकों एवं उनके परिवार के लोगों को विभिन्न आश्रय गृहों में भेजा गया है।

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