नई दिल्ली: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने अपनी राज्यव्यापी 'महाआरती' रद्द कर दी है जो 3 मई यानी ईद और अक्षय तृतीया को होने वाली थी। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इसकी घोषणा की। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष ने कहा, 'लाउडस्पीकर का मुद्दा धार्मिक नहीं बल्कि जनहित का विषय है। आगे क्या करने की जरूरत है, मैं कल अपने ट्विटर हैंडल से सूचित करूंगा।'
गौर हो कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने राज्य में जारी लाउडस्पीकर विवाद के बीच राज्यव्यापी 'महाआरती' रद्द कर दी है जो कल यानि 3 मई को होने वाली थी।
महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के इस फैसले में कहा गया है कल ईद का त्योहार है और किसी भी धर्म के त्योहार में वो व्यवधान उत्पन्न नहीं करना चाहते हैं। उनका उद्देश्य के अन्य धर्म के त्योहार में व्यवधान उत्पन्न करना नहीं है।
महाराष्ट्र के सभी प्रमुख मंदिरों में लाऊडस्पीकर लगाकर आरती की जानी थी, मनसे ने विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के साथ मिलकर 3 तारीख को अक्षय तृतीया के मौके पर महाराष्ट्र में महाआरती करने का कार्यक्रम घोषित किया था।
वहीं एक दिन पहले औरंगाबाद में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए, मनसे प्रमुख ठाकरे ने कहा था कि वह महाराष्ट्र में दंगे भड़काना नहीं चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार को 4 मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए अपना अल्टीमेटम दोहराया, जिसमें विफल रहने पर मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा को दोगुने साउंड में बजाया जाएगा।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने सोमवार को कहा कि औरंगाबाद में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के भाषण का उद्देश्य 'समाज में फूट डालना' था। मंत्री ने उनके खिलाफ कार्रवाई के संकेत भी दिए।राज ठाकरे ने औरंगाबाद में अपने भाषणा में कहा था कि वह मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए दी गई तीन मई तक की समय-सीमा पर अडिग हैं। पाटिल ने कहा कि रविवार को औरंगाबाद में एक रैली में ठाकरे ने अपने भाषण में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार को निशाना बनाया। राकांपा वर्तमान में महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ सत्ता साझा करती है।
मनसे के प्रमुख ने राकांपा प्रमुख पर महाराष्ट्र में जातिगत राजनीति करने का आरोप लगाया था और कहा था कि उन्हें 'हिंदू' शब्द से 'एलर्जी' है।पाटिल ने कहा, 'उनका भाषण समाज को बांटने और नफरत फैलाने का एक प्रयास था। पुलिस उनका भाषण सुनेगी और तय करेगी कि उसमें क्या आपत्तिजनक है और इस पर फैसला करेगी।'
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