Monkeypox declared as Global Health Emergency: कोरोना वायरस संकट के बीच मंकीपॉक्स वायरस दुनिया के नई मुसीबत बनकर उभरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी करार दिया। शनिवार (23 जुलाई, 2022) को डब्ल्यूएचओ की ओर से कहा गया कि इस वायरस का 70 से अधिक मुल्कों में प्रसार होना एक ‘‘असाधारण’’ है, जो अब वैश्विक आपात स्थिति है।
माना जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ का यह ऐलान इस बीमारी के इलाज के लिए निवेश में तेजी ला सकता है। साथ ही इसने इस वायरस का टीका बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया है। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस ए. घेब्रेयसस ने वैश्विक स्वास्थ्य संगठन की ‘इमरजेंसी कमेटी’ के सदस्यों के बीच आम सहमति न बन पाने के बावजूद यह ऐलान किया। वैसे, यह पहला मौका है जब डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने इस तरह की कार्रवाई की है।
टेड्रोस बोले, ‘‘संक्षेप में हम एक ऐसी महामारी का सामना कर रहे हैं जो संचरण के नए माध्यमों के जरिए तेजी से दुनिया भर में फैल गई है और इस रोग के बारे में हमारे पास काफी कम जानकारी है। यह अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमन की अर्हता को पूरा करता है।’’ उन्होंने आगे बताया, ‘‘मैं जानता हूं कि यह कोई आसान या सीधी प्रक्रिया नहीं रही है और इसलिए समिति के सदस्यों के अलग-अलग विचार हैं।’’
हालांकि, मंकीपॉक्स मध्य और पश्चिम अफ्रीका के कई हिस्सों में दशकों से मौजूद है, पर अफ्रीका महाद्वीप के बाहर इतने व्यापक स्तर पर इसका प्रकोप पहले कभी नहीं रहा था। मई तक लोगों के बीच इसका व्यापक प्रसार भी न हुआ था। इस रोग को वैश्विक आपात स्थिति घोषित करने का यह मतलब है कि मंकीपॉक्स का प्रकोप एक असाधारण घटना है और यह रोग कई अन्य देशों में भी फैल सकता है व एक समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ ने इससे पहले कोविड-19, इबोला और जीका वायरस के लिए आपात स्थिति की घोषणा की थी।
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