नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हाल के दिनों में कोई बातचीत नहीं हुई है। सामाचार एजेंसी एएनआई ने जानकार सूत्रों के हवाले से कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ पीएम मोदी की पिछली बातचीत 4 अप्रैल 2020 को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के मसले पर हुई थी। जानकार सूत्रों की अगर इस बात पर यकीं करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति का यह दावा कि लद्दाख मसले पर 'पीएम मोदी अच्छे मूड में नहीं है', विरोधाभासी लगता है। सूत्रों ने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच पिछली बातचीत 4 अप्रैल 2020 को हुई थी। दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के बारे में हुई थी। विदेश मंत्रालय ने भी यह साफ कहा है कि स्थापित तंत्र एवं राजनयिक संपर्कों के जरिए वह चीन के साथ लद्दाख मसले पर सीधे बातचीत कर रहा है।'
बातचीत के बारे में डोनाल्ड ट्रंप ने किया है ट्वीट
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने एक ट्वीट में कहा है कि भारत और चीन के बीच इस समय एक संघर्ष चल रहा है। ये दोनों बड़े देश हैं और इनके पास काफी ताकतवर सेना है। उन्होंने कहा, 'भारत खुश नहीं है और शायद चीन भी इससे खुश नहीं है। मेरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत हुई है। चीन के साथ जो कुछ चल रहा है कि उससे वह अच्छे मूड में नहीं हैं।' इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति लद्दाख मसले पर मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं।
सूत्रों ने बातचीत को खारिज किया
लद्दाख मसले पर पीएम मोदी के साथ बातचीत के ट्रंप के दावे को सूत्रों ने खारिज किया है। हालांकि, इस बारे में विदेश मंत्रालय ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हो सकता है कि सरकार की तरफ से इस बारे में कोई बयान जारी किया जाए। यह सही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की पीएम मोदी से पिछली बातचीत गत चार अप्रैल को हुई थी। अमेरिका कोविड-19 के प्रकोप से बुरी तरह ग्रस्त है। उसके यहां इस महामारी से एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा पर हुई बातचीत
अमेरिका को यह बात पता चलने पर कि कोरोना वायरस से लड़ने में भारत द्वारा निर्मित हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा कारगर साबित हो रही है, डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी से बात की और उनसे इस दवा की आपूर्ति करने की अपील की। ट्रंप के अनुरोध भारत ने अमेरिका को दवा की एक बड़ी खेप भेजी। भारत ने कोविड-19 से लड़ने के लिए अमेरिका के अलावा अन्य देशों को भी दवाएं और चिकित्सा सामग्री भेजकर उनकी मदद की है।
लद्दाख में बना है गतिरोध
लद्दाख के पूर्वी भाग में मई के पहले सप्ताह में चीन के साथ भारत का गतिरोध बन गया। दरअसल, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगी भारतीय सीमा में कई जगहों पर चीन की सेना ने अतिक्रमण किया। चीन की सेना गलवान वैली और कुछ अन्य जगहों में अवैध रूप से दाखिल हो गई। इसका जवाब देने के लिए भारत ने भी अपने सैनिक तैनात कर दिए। एलएसी के दोनों तरफ सैनिकों के जमावड़े से हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। हालांकि, भारत और चीन ने इस मसले का हल निकालने के लिए कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर पर बातचीत किए हैं जिनके सकारात्मक संकेत मिले हैं।
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