दिल्ली में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अरविंद केजरीवाल का उत्साह चरम पर है। रामलीला मैदान में वह दिल्ली के साथ-साथ देश की चिंता करते दिखाई दिए। जाहिर है कि इस प्रचंड जीत के बाद वह आम आदमी पार्टी को दूसरे राज्यों में ले जाने की कोशिश करेंगे। देश में अगला विधानसभा चुनाव बिहार में होने वाला है। यह हिंदी भाषी प्रदेश है। बिहार की बड़ी आबादी दिल्ली में रहती है। इस आबादी के जरिए उन्होंने बिहार में अपना संदेश देना शुरू कर दिया है। वह बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी अपनी कल्याणकारी योजनाओं की चर्चा बार-बार कर रहे हैं।
केजरीवाल लोगों को बता रहे हैं कि दिल्ली ने उनके काम एवं विकास की राजनीति को वोट दिया है। यह सब कहने और बताने के पीछे उनकी मंशा है कि दूसरे राज्यों के लोग यह समझें कि आम आदमी पार्टी यदि उनके वहां चुनाव लड़े तो वे उसे वोट करें क्योंकि सत्ता में आने पर आप उसी तरह की सुविधाएं उन्हें मुहैया करा सकती है जैसा कि वह दिल्ली के लोगों के लिए कर रही है।
बिहार में जमीन बनाना केजरीवाल के लिए बड़ी चुनौती
केजरीवाल की पार्टी हिंदी भाषी प्रदेशों में अपने लिए राजनीतिक जमीन बनाना असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है। बिहार की अगर बात करें तो यहां नीतीश कुमार सत्ता में हैं। भाजपा और जद-यू के मुकाबले राजद-कांग्रेस का गठबंधन है। यहां किसी तीसरी पार्टी या गठबंधन के लिए गुंजाइश कम है। चुनावी रणनीतिक प्रशांत किशोर के संगठन आई-पैक ने दिल्ली चुनाव में केजरीवाल की मदद की है।
11 फरवरी को पीके का ऐलान हो सकता है अहम
पीके जद-यू से बाहर हैं। उन्होंने कहा था कि दिल्ली चुनाव नतीजे के दिन 11 फरवरी को अपने बारे में बड़ा ऐलान करेंगे। ऐसी चर्चा थी कि पीके अपनी नई पारी के बारे में कोई घोषणा करेंगे लेकिन वह चुप रहे। ऐसा हो सकता है कि पीके आने वाले दिनों में बिहार लेकर जाएं या पीके और केजरीवाल मिलकर बिहार में एक नया राजनीतिक समीकरण खड़ा करें।
मिल सकता है सियासी नेताओं का समर्थन
ऐसा इसलिए भी क्योंकि पीके बिहार की राजनीति से 2015 से जुड़े हुए हैं। इन पांच सालों में वह राज्य की राजनीति से अच्छी तरह वाकिफ हो चुके हैं। उनकी पहल पर जद-यू में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और पार्टी में उन्हें कई पद मिले। जाहिर है कि पीके यदि बिहार में केजरीवाल के साथ अपना कोई मोर्चा खड़ा करने की कोशिश करते हैं तो उनके साथ जद-यू के कई नेता और समर्थक जुड़ सकते हैं।
दिल्ली जीत के बाद केजरीवाल के हौसले बुलंद
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