आपातकाल पर पीएम मोदी का ट्वीट-जिन्होंने यातनाएं झेली, संघर्ष किया उन्हें शत-शत नमन

देश
किशोर जोशी
Updated Jun 25, 2020 | 13:08 IST

PM Modi on Emergency: आपातकाल के 45 वर्ष पूरे होने के अवसर पर गुरुवार को पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि आज से ठीक 45 वर्ष पहले देश पर आपातकाल थोपा गया था।

On the 45th anniversary of Emergency PM Modi salutes those who fought for the 'protection of India's democracy
आज से ठीक 45 वर्ष पहले देश पर आपातकाल थोपा गया था: मोदी 
मुख्य बातें
  • आपातकाल के 45 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने किया ट्वीट
  • पीएम मोदी ने आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वालों को किया नमन
  • आपातकाला के दौरान किए गए त्याग और बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा- मोदी

नई दिल्ली: भारत के इतिहास में 25 जून का दिन एक ऐसी घटना का गवाह रहा है जिसे शायद लोग कभी याद नहीं करना चाहेंगे। आज ही के दिन 1975 में देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की गई। आपातकाल के 45 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने भी ट्वीट किया है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा, 'आज से ठीक 45 वर्ष पहले देश पर आपातकाल थोपा गया था। उस समय भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया, यातनाएं झेलीं, उन सबको मेरा शत-शत नमन! उनका त्याग और बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा।'

पीएम ने शेयर किया मन की बात का वीडियो

प्रधानमंत्री ने इसके साथ अपनी मन की बात कार्यक्रम 2019 का एक वीडियो भी साझा किया जिसमें वो कह रहे हैं, 'जब देश में आपातकाल लगाया गया तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं रहा था, राजनेताओं तक सीमित नहीं रहा था, जेल के सलाखों तक, आन्दोलन सिमट नहीं गया था। जन-जन के दिल में एक आक्रोश था। खोये हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी। दिन-रात जब समय पर खाना खाते हैं तब भूख क्या होती है इसका पता नहीं होता है वैसे ही सामान्य जीवन में लोकतंत्र के अधिकारों की क्या मज़ा है वो तो तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेता है।'


नागरिक का सब कुछ छीन लिया गया था

 इस वीडियो में पीएम आगे कहते हैं, 'आपातकाल में, देश के हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया है। जिसका उसने जीवन में कभी उपयोग नहीं किया था वो भी अगर छिन गया है तो उसका एक दर्द, उसके दिल में था और ये इसलिए नहीं था कि भारत के संविधान ने कुछ व्यवस्थायें की हैं जिसके कारण लोकतंत्र पनपा है।समाज व्यवस्था को चलाने के लिए, संविधान की भी जरुरत होती है, कायदे, कानून, नियमों की भी आवश्यकता होती है, अधिकार और कर्तव्य की भी बात होती है लेकिन, भारत गर्व के साथ कह सकता है कि हमारे लिए, कानून नियमों से परे लोकतंत्र हमारे संस्कार हैं, लोकतंत्र हमारी संस्कृति है, लोकतंत्र हमारी विरासत है और उस विरासत को लेकरके हम पले-बड़े लोग हैं और इसलिए उसकी कमी देशवासी महसूस करते हैं और आपातकाल में हमने अनुभव किया था और इसीलिए देश, अपने लिए नहीं, एक पूरा चुनाव अपने हित के लिए नहीं, लोकतंत्र की रक्षा के लिए आहूत कर चुका था।

 प्रधानमंत्री ने कहा, 'शायद, दुनिया के किसी देश में वहाँ के जन-जन ने, लोकतंत्र के लिए, अपने बाकी हकों की, अधिकारों की,आवश्यकताओं की, परवाह ना करते हुए सिर्फ लोकतंत्र के लिए मतदान किया हो,तो ऐसा एक चुनाव, इस देश ने 77 (सतत्तर) में देखा था।'

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